संवाद :--- गद्य शैली .
प्रिय कल्पना नगर के निवासियों!नमस्कार!
राष्ट्रपिता विश्ववन्द्य नेता गांधीजी का यशोगान
करने के लिए कई कलाएं होने पर भी ,
धनुष गीत में गाना विषयोचित और समयोचित है.--क्यों ?
करने के लिए कई कलाएं होने पर भी ,
धनुष गीत में गाना विषयोचित और समयोचित है.--क्यों ?
यह धनुष गीत कला --अहिंसात्मक कला है.
धनुष का उपयोग है शिकार करना और युद्ध करना.
एक राजा ने इस धनुष को युद्ध शास्त्र के विपरीत संगीत कला के लिए उपयोग किया.
"शर" के बदले "इश्क" को शर बनाया.
सर बचाया. राजा के धनुष गीत को
दुश्मन भी प्रशंसा करने लगे.
खूँखार जानवर भी उसके पास खड़े होकर
संगीत सुनने लगे.
अहिंसा की महान शक्ति है यह
. गाँधीजी ने भी अहिंसा को अपनाया.
धनुष का उपयोग है शिकार करना और युद्ध करना.
एक राजा ने इस धनुष को युद्ध शास्त्र के विपरीत संगीत कला के लिए उपयोग किया.
"शर" के बदले "इश्क" को शर बनाया.
सर बचाया. राजा के धनुष गीत को
दुश्मन भी प्रशंसा करने लगे.
खूँखार जानवर भी उसके पास खड़े होकर
संगीत सुनने लगे.
अहिंसा की महान शक्ति है यह
. गाँधीजी ने भी अहिंसा को अपनाया.
और उनको अहिंसा के बल पर सफलता मिली.
अतः इस धनुष गीत में राष्ट्र पिता की कहानी
सुनाकर ,इसे राष्ट्रीय
सुनाकर ,इसे राष्ट्रीय
गीत बनाना भी समुचित होगा.
गीत :-
दो गज धोती पहनकर
आए थे गज समान हाथी;
दिलाई आजादी भारत को!
इश्क के बल पर भगाया,
इंगिलिश वालों को.
अहिंसा सत्य के आधार पर ,
बदल दिया इतिहास.
निज संपत्ति न जुटाके ,
संकट को अपनाके ,
स्वदेशी धर्म को निभाके ,
आजीवन देश के लिए
संघर्ष में लगे रहे गाँधीजी .
दो गज धोती पहनकर ,
आये थे गज समान गाँधीजी.!!
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