Thursday, July 29, 2021

शिव महिमा

 नमस्ते वणक्कम।

हिंद देश परिवार प्रयागराज इकाई।

30-7-2021.

विषय --शिव महिमा।

 विधा --मौलिक रचना है तो मौलिक विधा ही सही।

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भगवान शिव कैलाशीश्वर।

 उनके नाम से ही उनकी महिमा।

पर्वतेश्वर  पर्वत में  वास।

 लोकनाथ अगजग के रक्षक।।

रामेश्वर राम द्वारा पूजित,

 भारतीय एकता "आसेतुहिमाचल".!

 दक्षिणेश्वर  अग जग का ईश्वर।।

 काशी विश्वनाथ,कांची एकखंभेश्वर।।

चिदंबरम नटराज, अग जग  नचाने वाले।

 मेक्का निर्गुण निराकार रूप के मेक्काईश्वर।।

 शंकरनारायणन, अर्द्ध नारीश्वर।।

 नारी को  सम आदर देने वाले।

 भक्त वत्सल,  तुरंत मन वांछित फल देनेवाले।।

 तमिलनाडु मदुरै में मीनाक्षी तो चिदंबरम में नटराज।।

 मदुरै में नारी सत्ता,चिदंबरम में नर सत्ता।।

  शिव महिमा वर्णनातीत।

 सादा जीवन, श्मशान भस्म धारी,

डमरु बाजा गणातिपति। शिव गण तो प्रसिद्ध।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन।

அந்தாதி

 சே.அனந்தகிருஷ்ணன்.

 வணக்கம்.


 வெண்ணிலா 29-7-2021

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வெண்ணிலா இரவில் ஒளிவிளக்கு/




மாதத்தில் ஒருநாள் முழுமதி/


 முழு மதி தேய்பிறை வளர்பிறை/


 வளர்பிறை  /பெரிதாகி சிறிதாகி உருமாறி/


உருமாறி பெயர் மாறி பிறையாகி/

 பிறையாகி மூன்றாம் நாள் சிறப்பாகி


சிறப்பாகி முகலாயர் மதத்தில் ஈத்


ஈத் பண்டிகையாகி பிரியாணி   உணவாகி/

உணவாகி   உடல் வளர  திருவிழா/


திருவிழா  தை மாதம் பொங்கல்/


 பொங்கல்  வெண் பொங்கல் மார்கழி/


 மார்கழித் சிறப்பு அதிகாலை பிரசாதமே/

  பிரசாத  மாதம் ‌மதி நிறைந்த நன்நாளே/





மாதச்சம்பளம்  முழுமதி நாள்/


 சிலவுகள் பல வழிகளில் வந்திடும்/


 தவணைக் கடன்கள் கட்டிய பின்/


 சிக்கனமாக பயன்படுத்த வாழ்க்கை இன்பமே/

 முழுமையான மகிழ்வு தரும்   வெண்ணிலா/

சே.அனந்தகிருஷ்ணன்.

Wednesday, July 28, 2021

Maya /माया/शैतानियत

 नमस्ते वणक्कम।

नव साहित्य परिवार

29-7-2021

विषय -कैसे दिन दिखाएं।

 विधा --मौलिक रचना मौलिक विधा। निज रचना निज शैली।।

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 भगवान शुभ दिन दिखाए ।

 इसमें न कोई शक या संदेह।।

मानव को ज्ञान दिया।

 चरित्र निर्माण के लिए ,

  ऋषि मुनियों को भेजा।।

 नैतिक ग्रंथ, नैतिक कथाएँ,

वेद शास्त्र,योग, ध्यान,सब सुमार्ग के

 अमर ग्रंथ दिये।

बताये काम क्रोध मद लोभ ही

 मानव के विनाश के कारण।।

अमृत-विष, सत्य -असत्य, स्वर्ग-नरक 

 सब दिखाएं।

 नश्वर दुनिया बताई।

 बुढ़ापा -मृत्यु के नियम दिखाएं।

भ्रष्टाचार रिश्वत के रुपये से

सुनामी-कोराना, बुढ़ापा मृत्यु से बचायेगा नहीं।

सब कुछ दिखाएं।

 मानव मन में शैतानियत-माया की प्रबलता।

 अतः झेलता कष्ट।

स्वरचित स्वचिंतक एस-अनंतकृष्णन,चेन्नै।

Tuesday, July 27, 2021

காதல் பறவைகள்

 சே.அனந்தகிருஷ்ணன்.


வணக்கம்.

  காதல் பறவைகள்.

28-7-2021.

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 காதல் என்ற வார்த்தை

 திருமணத்திற்குப் பின்

 என்ற நிலை மாறினால்

 காதல் பறவைகள் என

 ஐந்தறிவோடு ஒப்பிட்டு

 ஆறறிவு மனிதன்

   காதல் பறவைகள் போல் 

 பறக்கத் தேவையில்லை.

 பூங்கா, கடற்கரை என்று

 மிருகம் போல் முத்தமிடத் தேவையில்லை.

காதல் தோல்வி என

குடிகாரனாக வேண்டிய தில்லை.

தற்கொலைகள்  விவாகரத்து

 வழக்குகள் தேவையில்லை.

 காதல் பறவைகள் மனிதர் கள்

 தன் மகன்/மகள் காதலை ஏற்பதில்லை.

காதல் பறவைகள் சரி

காதல் மனிதர் கள் என்று

 கவிதை த் தலைப்பு வருவதில்லை.

 காதல் நாய்கள் தலைப்பு இல்லை.

சிந்திக்க வைக்கிறது தலைப்பு.

 காதல் மனிதர் கள் என்ற தலைப்பு வரும்வரை காதல் விலங்குகளே மனிதர்கள்.

 சே. அனந்த கிருஷ்ணன்.

सुधार।

 नमस्ते वणक्कम।

हिंद देश परिवार।

 हम सुधरेंगे,युग सुधरेगा।

28-7-2021.

विधा --मौलिक रचना मौलिक विधा। निज शैली निज रचना

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 कबीर की वाणी याद आती है,

नानक की कहानी याद आती है,

सिद्धार्थ का गृह त्याग याद आती है।

 रैदास का मन चंगा तो कठौती में गंगा 

याद आती है, व्यक्ति गत सोच व्यक्तिगत  सुधार।।

 सत्संग का महत्व,दुरंगी दुनिया की बात।।

 सद्यःफल केलिए, अपने पद के लिए,

 अपने लाभ के लिए,अपनी प्रगति के लिए,

 भ्रष्टाचार, रिश्वत , प्रशासक और राजनैतिक।।

 सामाजिक समर्थन के बगैर यह असंभव।।

 व्यक्तिगत सुधार कैसे?

  आदी काल से अर्वाचीन काल आज तक

 कोई सुधरा है तो व्यक्ति गत सुधार व सोच।

 अशोक का मानसिक सुधार बुद्ध की देन।

गुरु नानक  ने ऐसे डाकू का सुधार  किया

जिसने  नानक से कहा - मैं डकैती करता हूँ,

निर्दयी हूँ,वहीं मेरा पेशा है। मैं वह धंधा छोड़ नहीं सकता।

मेरा मन बेचैन है। ऐसा उपाय बताइए जिससे मैं

वह काम भी कर सकूँ,चैन से भी जी सकूँ!

 नानक ने कहा,भला, 

तुमको अपने धंधा छोड़ने की जरूरत नहीं है।

 मैं रोज शाम को प्रवचन दे रहा हूँ।

 तुम रोज अपने कर्मों को सच-सच एक 

कागज़ पर लिखो। और मेरे प्रवचन की सभा में पढ़ा करो।

 पर वह साधु पुनः नहीं आया।

कई महीने बीत गये। गुरु भी यह घटना भूल गए।।

      एक दिन  वह डाकू आया। उसके चेहरे में चमक और तेज़।

उसने  गुरु नानक के पैरों पकड़कर कहा--

 आपके उपदेश के अनुसार मैं अपने कर्मों को लिखकर 

पढ़ने लगा तो मैं बहुत लज्जित हो गया।

 खुद शरमाने वाली बात को कैसे भरी सभा में पढूँ?

 मैं अपना धंधा छोड़ दिया।। अब मैं ईमानदारी से काम करता हूँ। जो रूखा सूखा मिलता है ,उससे संतुष्ट हूँ।

ऐसे व्यक्ति गत सुधार से ही युग सुधरेगा।।

हर एक को अपने कुकर्म सोचने पर 

शर्म आएगा ही। अपने कुकर्मों को कोई भी

खुल्लम खुल्ला बता नहीं सकता।

हर व्यक्ति की आत्मा में सुधार आएगा तो

 आत्मसंतोष और ब्रह्मानंद मिलेगा।।

 अगजग  सुधरेगा।

 भगवान के अनुग्रह से बुद्ध और नानक जैसे

महान  युग पुरुष जन्म लेते हैं।

हम सद्यःफल के लिए युगावतार पुरुषों को भूल जाते हैं।

 अंग्रेज़ का थप्पड़ न मिलें तो गाँधीजी युग पुरुष कैसे?

नश्वर दुनिया  मृत्यु के सोच से समाज सुधरेगा।

  स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

Wednesday, July 21, 2021

साहित्य और समाज

 नमस्ते। वणक्कम।

समतावादी कलमकार साहित्य शोध संस्थान भारत।

 विषय --साहित्य और समाज।

 विधा ---मौलिक रचना मौलिक विधा।

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 साहित्य लोक हित के लिए  लिखा जाता है।

 जैसा भी हो असभ्य लोगों को सभ्य 

बनाने के लिए ही दिव्य ग्रंथ  वेद, 

बाइबिल, कुरान और नीति ग्रंथ आदि।

 साहित्य का कथानक सत्य पर आधारित है।

सामाजिक घटनाओं के यथार्थ रूप का यथार्थ वर्णन,

आदर्श वर्णन, यथार्थ आदर्शवाद,  छायावाद, रहस्यवाद,

प्रगतिवाद साहित्य के विविध रूप  समाज से ही साहित्य बना है।

 रामायण, महाभारत आदि पौराणिक  काव्य वीर गाथा काल,

भक्ति काल,रीति काल, आधुनिक काल के साहित्य आदि की खोज  ग्रंथ के अध्ययन से  पता चलता है कि साहित्य और समाज का घनिष्ठ संबंध है।  Kuldeep Ruheala  आज कल फिर साहित्य रीतिकालीन  ऐश आराम नशीली चीजें, मधुशाला आय से सरकार, भ्रष्टाचार,रिश्वत, बलात्कार, राजनैतिज्ञ, पुलिस  और अमीरों के अत्याचार ,मुकद्दमे का खारीज, न्याय में विलंब, बद्माश ही कथा का नायक खूनी लुटेरा, फिर नायिका के प्रभाव से अच्छा,

 न्यायलय,मंत्री, पुलिस सब अधिकार बदमाश बदला नायक के हाथ में, वहीं अंत में पूजनीय। यह भी सम्राट अशोक का कथानक। सच्ची घटना पर आधारित।

साहित्य और समाज का निकट संबंध। एक दूसरे से अन्योन्याश्रित।

साहित्य समाज का दर्पण है।।

  स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

Thursday, July 15, 2021

इष्ट वंदना

 कलम की ताकत नमस्ते वणक्कम।

१५-७-२०२१.

इष्ट वंदना।

मौलिक रचना मौलिक विधा।

++++++++++++++

 इष्ट वंदना या अनिष्ट वंदना

 करना मानव मन चंचलता।

 सूर कृष्ण को न तजे।

 तुलसी राम को न  तजे।

 कबीर ज्ञान को न तजे।

  सद्यःफल के लोभ में

 मानव मन तितली समान,

 रंग ,स्वाद , स्वार्थ के लिए

 आश्रमों की संख्या बढ़ाता है,

 आश्रम अपनी शाखाएँ बढ़ाती है।

 एकै सधै सब सधै,  सब सधै सब जाय।।

 चंचल मन की वंदना अर्वाचीन भक्ति जान।।

   इष्ट भगवान की वंदना देता इष्ट फल।।

 दादी एक,नानी एक,  समाज एक।

 प्रचार करते  तो मन चंचल।

 एकाग्र चित्त न तो एकाग्र भक्ति नहीं।

  एक देव के उपासक पाते इष्ट वर।।

 स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,

Monday, July 12, 2021

परीक्षा

 नमस्ते वणक्कम।

हिंद देश परिवार दिल्ली।

12-7-2021.

संस्कार।

मौलिक रचना मौलिक विधा। निज रचना निज शैली

+++++++++++++++++++++++

भारत ही आदी सभ्यता और संस्कृति का आधार।

 मनुष्य मृग में मनुष्यता का संस्कार  है तो

 वह से वेद शास्त्रों की देन।।

 संस्कार डालने का,

 मनुष्यता का सुंदर साँचे में ,

 सगुण साकार डालने के शब्द

 अन्य मजहबियों में है ही नहीं।

 आदर्श नारा  चिर स्मरणीय

चिर अनुकरणीय नारा

शरणागत वत्सलता।

अतिथि देवो भव।

वसुधैव कुटुंबकम्।

 अहिंसा परमो धर्म,

विनम्रता,

  दया, जितेंद्रियता, दान धर्म-कर्म

त्याग, ठंड में अर्द्ध नग्न जीवन।

दधिची की रीढ़ हड्डी का दान।

 सिद्धार्थ का राज महल त्याग।

 राम की आज्ञाकारिता,

 समन्वय भावना, भक्त वत्सलता,

  लोक मर्यादा पुरुषोत्तम राम।

 लोक रंचक लोक रक्षक कृष्ण।

गुरु देवो भव।

   कदम कदम पर बात बात पर

 पतिव्रता ,संयम, आत्म सम्मान,आत्मावलोकन।

 संस्कार ही संस्कार सनातन धर्म।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।



Sunday, July 11, 2021

संस्कार

 


नमस्ते वणक्कम।

हिंद देश परिवार दिल्ली।

12-7-2021.

संस्कार।

मौलिक रचना मौलिक विधा। निज रचना निज शैली

+++++++++++++++++++++++

भारत ही आदी सभ्यता और संस्कृति का आधार।

 मनुष्य मृग में मनुष्यता का संस्कार  है तो

 वह से वेद शास्त्रों की देन।।

 संस्कार डालने का,

 मनुष्यता का सुंदर साँचे में ,

 सगुण साकार डालने के शब्द

 अन्य मजहबियों में है ही नहीं।

 आदर्श नारा  चिर स्मरणीय

चिर अनुकरणीय नारा

शरणागत वत्सलता।

अतिथि देवो भव।

वसुधैव कुटुंबकम्।

 अहिंसा परमो धर्म,

विनम्रता,

  दया, जितेंद्रियता, दान धर्म-कर्म

त्याग, ठंड में अर्द्ध नग्न जीवन।

दधिची की रीढ़ हड्डी का दान।

 सिद्धार्थ का राज महल त्याग।

 राम की आज्ञाकारिता,

 समन्वय भावना, भक्त वत्सलता,

  लोक मर्यादा पुरुषोत्तम राम।

 लोक रंचक लोक रक्षक कृष्ण।

गुरु देवो भव।

   कदम कदम पर बात बात पर

 पतिव्रता ,संयम, आत्म सम्मान,आत्मावलोकन।

 संस्कार ही संस्कार सनातन धर्म।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।







नमस्ते वणक्कम।

हिंद देश परिवार दिल्ली।

12-7-2021.

संस्कार।

मौलिक रचना मौलिक विधा। निज रचना निज शैली

+++++++++++++++++++++++

भारत ही आदी सभ्यता और संस्कृति का आधार।

 मनुष्य मृग में मनुष्यता का संस्कार  है तो

 वह से वेद शास्त्रों की देन।।

 संस्कार डालने का,

 मनुष्यता का सुंदर साँचे में ,

 सगुण साकार डालने के शब्द

 अन्य मजहबियों में है ही नहीं।

 आदर्श नारा  चिर स्मरणीय

चिर अनुकरणीय नारा

शरणागत वत्सलता।

अतिथि देवो भव।

वसुधैव कुटुंबकम्।

 अहिंसा परमो धर्म,

विनम्रता,

  दया, जितेंद्रियता, दान धर्म-कर्म

त्याग, ठंड में अर्द्ध नग्न जीवन।

दधिची की रीढ़ हड्डी का दान।

 सिद्धार्थ का राज महल त्याग।

 राम की आज्ञाकारिता,

 समन्वय भावना, भक्त वत्सलता,

  लोक मर्यादा पुरुषोत्तम राम।

 लोक रंचक लोक रक्षक कृष्ण।

गुरु देवो भव।

   कदम कदम पर बात बात पर

 पतिव्रता ,संयम, आत्म सम्मान,आत्मावलोकन।

 संस्कार ही संस्कार सनातन धर्म।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।



கடவுள்

 வணக்கம் நமஸ்தே.

இறைவணக்கம்.

 கடவுளே இல்லை என்போர்

தரணியில் இருக்கின்றார்.

  ஞானிகள் அவரென்று சிலை 

 முச்சந்தியில் வைத்தே

  பகுத்தறிவு வளர்த்த தமிழகம்

  நடிகை க்கு ஆலயம் நடிகன் கட்அவுட் பாலாபிஷேகம் என வெளிவேஷம் பகல் வேஷம் காரன் பின் செல்லும்

 அறிவற்ற செயலா பகுத்தறிவவா?

  தாலி அறுத்த போராட்டம் 

 தன் மனைவி மருமகள் மகள் என 

மேடை ஏற்றி அறுக்கவில்லை.

 கூலிக்கு மாரடைக்கும் கூட்டம்

 தாலி அறுத்த போராட்டம்.

பன்றி பூனல் தொடரவில்லை.

 தூய தமிழ் என்ற கூட்டம்

 வடமொழி எதிர்ப்பு க் கூட்டம்

 உதசூரியன் என்ற வடமொழி சொல்

இன்றி வாக்கு பெறவில்லை.

 தாயார் மனைவி  அனைவரும்

ஆலய வழிபாடு .

 சாமியார்கள் வழிபாடு

  பகவானின் அருள் வேண்டும் 

 பெண்கள் வழிபாடு.

 அல்லா ஏசு இருக்கிறார் 

அங்கு கடவுள் இல்லை என்று சிலை வைக்கமுடியா கோழைகள்.

 பகுத்தறிவு என்றே பறைசாற்றி

 கட்அவுட் பாலாபிஷேகம் 

 அறிவற்ற செயல் என கூறா முட்டாள் கூட்டம்.

சிந்திக்காத கல்வி சாத்தான் சைத்தான் கூட்டம்.

  கடவுள் இருக்கிறார் என்பதற்கே 

கொரானா சுனாமி .

கொசுவுக்கு பயந்த நாத்திகக் கூட்டம்.

 சிந்திப்பீர் இளைஞர்களே!

 ஆண்டவன் இருக்கிறான்.

 ஊழல் பணமோ லஞ்ச ப் பணமோ

 உன் உயிர் காக்காது.

 கடவுள் இருக்கிறார்.

 இன்று இறைவன் அளித்த எண்ணங்கள்.

Thursday, July 8, 2021

वर्षा

 नमस्ते वणक्कम।

नव साहित्य परिवार।

8-7-2021.

विषय =काले काले मेघा पानी दें।

विधा---मौलिक रचना मौलिक विधा। निज शैली निज रचना।

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 हवा और पानी जगत के लिए 

 जीने के लिए अति अनिवार्य।।

 नदी,झील,ताल तलैया,पोखर

सूख जाएँगे तो वनस्पति,पशु पक्षी मानव

सब के प्राण पखेरु उड़ जाएँगे।।

अकाल से पीड़ित जग ,

 धरती पर दरारें पड़ जाएँगे।

 हम मानव अति मेधावी,

 स्वार्थ वश जंगल  का नाश कर रहे हैं।।

 नदी को रेत हीन बना रहे हैं,

नगरीकरण नगरविस्तार के नाम,

 लाखों करोड़ एकड़ भूमि इमारत कारखाने बन गये हैं।

 कृषी प्रधान भारत  मरुभूमि बन रहा है,

 मिनरल और पेयशराब के कारखाने ,

 भारत को जलरहित कर रहा है,

खेद की बात है पवित्र गंगा के किनारे

पीने का पानी मिनरल वाटर की बिक्री बढ़ रही है।

 मानव अपराध माफ कर ,

 कोराना,सुनामी से बचाने,

काले मेघा पानी दें,न नाराज न होना।।

  स्व रचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

तमिल नाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

Wednesday, July 7, 2021

आध्यात्मिकता

 नमस्ते ,वणक्कम।

हिन्द देश परिवार ,हिमाचल प्रदेश इकाई।
देव भूमि हिमाचल। विधा --मौलिक रचना ,मौलिक विधा
३-७-२०२१
भारत है आध्यात्मिक भूमि ,
कदम कदम पर देव भूमि ,
हर स्थान पर पवित्र कथा।
आ सेतु हिमाचल देव भूमि।
कैलाश से कार्तिकेय रूठकर दक्षिण आये।
राम सीता की तलाश में रामेश्वर आये ,
महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध में सारे देश के वीर।
भक्ति तो द्राविड़ उपजी।
फिर भी हिमाचल एक अनुपम देव भूमि।
असंख्य मंदिर ,असंख्य मेले।
महाशिवरात्री के दिन अगजग की यात्री ,
इस विश्वास पर एकत्रित होते हैं कि
देवों की प्रिय भूमि पर ,
२०० से अधिक देव विराजमान होते हैं.
प्राकृति शोभा वर्णनातीत हैं ,
भारतीय मूल धर्म के अति सुन्दर मंदिर ,
नए धर्म के जैन ,बुद्ध, सिक्ख मंदिर।
हज़ारों के त्यौहार ,
भारतीय जीवन विरक्त धनि ,जिलादेश ,अभियंतक
मानसिक शान्ति के लिए ठहरते हैं।
ब्रजेश्वर मंदिर ,वैजनाथ मंदिर ,ज्वालामुखी मंदिर ,
चामुंडा मंदिर ,लक्ष्मी नारायण मंदिर ,चौरासी मंदिर ,
पराशर मंदिर ,त्रिलोकपुर मंदिर जैसे अनेक मंदिर।
मानसिक संतोष , आत्मसंतोष ,आत्मानंद ,ब्रह्मानंद परमानंद की
देवभूमि हिमाचल है स्वर्ग तुल्य।

Tuesday, July 6, 2021

ஸனாதன தர்மம்

 இன்று  ஆங்கிலம் அறிந்தால் பைபிள்.


அரபி தெரிந்தால் குரான் 

 ஸம்ஸ் க்ருதம் தெரிந்தால் வேதம். 

ஆனால் அதை அறிந்தவர்கள் குறைவு என்றவாதம்


   ஸனாதன தர்மம் தர்ம நூல் படித்தால்  இறைவன் அருள்  என்று சொல்லவில்லை.


ஆலயம் செல்வது சர்ச் செல்வது போல் கட்டாயம் இல்லை.

 ஒரு மரத்தடியில் அமர்ந்து 


ராம ராமா என்றால் ராமாயணம்.


தவறை உணர்ந்து கோபுரத்தில் இருந்து குதித்தால்  திருப்புகழ்.


 கண்ணை மூடி   நாம ஜபம் போதும்

இறைவனளித்த  கடமையாற்றினால் போதும் .

 ஒவ்வொரு மொழியிலும் 

தெய்வீக நூல்கள் .

மனிதனுக்கு ஒழுக்கம் தரும் நூல்கள் .

  மனிதர்களை குண்டு போட்டுக் கொல்ல வேதம் எதற்கு ? குரான் .,பைபிள் எதற்கு. இரக்கமற்ற செயல் செய்ய  ஒரு கூட்டம் உருவாக்கும் குரான் என்றால் அல்லா அவர்களை மன்னிக்கமாட்டார் .

படுகொலை.  பேரஹமி .

பாரத நிலை

 ஒழுக்கம் பணிவு குரு மரியாதை இல்லா கல்வி ட்யூஷன் ஃபீஸ் வாங்கி யதும்  மதிப்பெண்.கல்வி குற்றவாளிகள் ஆதரவு வக்கீல் பொய்க்கணக்கு ஆதரவு ஆடிட்டர் அதிகாரிகள்.

நாடு வளம் பெற்ற மகிழ்வு 


நாம் பாரத மஹான்களை பின்பற்றுவதில்லை.

  ஆங்கிலம் இல்லையேல் 

வாழமுடியாது என்ற நிலை.

திருமூலர்  விவேகானந்தர்

 பல சித்தர்கள்

 கூறிய தமிழ் பிடிக்காது.

குளித்து க் குடி.

 பிரம்ம முகூர்த்த மண் அதிகாலையில் எழுதல் பிடிக்காது.

 பெற்றோர்களை மதிக்காமல்

 கலப்பு காதல் திருமணம் செய்தால் 

 அரசாங்கம் அறுபதாயிரம்.

 உறவு முறை களில் திருமணம் செய்து

 ஆனந்தமாக இருந்த காலம்.

  அதையும் ஆங்கிலேயர்கள் உறவு முறை திருமணம் உடல் ஊனம் என்று ஆங்கில மருத்துவம்.

   முனைவர் பட்டம் பெற்றவர் பாட்டு

 ஓடிப்போய் திருமணம் 

செய்யலாமா?

குழந்தை பெற்று திருமணம் செய்யலாமா?

திருமணம் செய்யாமல் சேர்ந்து வாழலாமா?

 விவாகரத்து. கணவன் மனைவி மாற்றானை விரும்பி உறவு கொண்டால் தவறில்லை.

  பொது இட முத்தம் தழுவல்

 மனித னுக்கும் விலங்குக்கும் 

வேறுபாடு இல்லை.

 தலாக் ட்ரைவர் ஸ் என்ற வார்த்தை பாரத மொழிகளில் இல்லை.

 பாரத மொழிகளின் நீதிகளை பின்பற்ற வில்லை என்றால்  பாரதம் பாழ்.

 பகவானுக்கு பாலாபிஷேகம் வீண் என்ற பகுத்தறிவில் முச்சந்தி க்கு முச்சந்தி சிலை வைத்ததமிழகத்தில் நடிகர்

நடிகை கட் அவுட் டிற்கு பாலாபிஷேகம்.

 நடிகைக்கு ஆலயம்.

ஆந்திராவில் சனாதன முறைப்படி

சோனியா காந்தி பராசக்தி ஆலயம்.

 ஜெயலலிதா எம்ஜிஆர் குஷ்பு மோடி ஆலயங்கள்.

 பட்டதாரிகள் பெருகிவரும் நாட்டில் ஒழுக்கம் இல்லை.

 மூன்று வயது சிறுமி விடம் அண்ணாச்சி கேள்வி காலேஜ் போய் என்ன செய்வே?

சிறுமியின் பதில் காதல்.

 பெற்றோர் முகத்தில் அவ்வளவு மகிழ்ச்சி.

பார்வையாளர் பரவசம்.

 மாமன் மச்சான் தாய் மாமன்

அத்தை மாமி உறவில்லாமல் செய்த ஆங்கில மருத்துவம்.

अनाथ

 समतावादी कलमकार साहित्य शोध संस्थान भारत।

नमस्ते वणक्कम।

5-7-2021.

आदी काल से आधुनिक काल तक,

रामायण की कथा से आज तक की कथाएँ,

अनाथ बच्चे और उनके भाग्य पर

आधारित अतुलनीय शोक -दुख -सुख।।

 सीता मिली,हर के नीचे महाराज जनक को।।

कर्ण मिला बहते पानी में सारथी को।

कबीर मिला तालाब के किनारे पर।।

 ईश्वरीय अवतार की कहानियाँ ही ऐसी हैं तो

 सामान्य मनुष्य अनियंत्रित मन मंद लीला।

अर्वाचीन चित्र पट कथानक,

 ईमानदार अधिकारी के दो बच्चे,

अधिकारी, पत्नी निर्झरी खलनायक की हत्या,

उनके दो अनाथ बच्चे,

एक  खलनायक के हाथ में

 बद्माशी हत्या,दूसरा पुलिस अधीक्षक।

 साहित्य समाज का दर्पण,

 अनाथालय के बच्चे,

उनकी राम कहानियाँ,

 वृद्धाश्रम में अनाथ माँ-बाप।

मानव में मानवता चाहिए।

 मानव को जितेंद्र बनना है।

तमिल में एक कहावत है,

बड़े लोगों का बड़प्पन 

रखैल की संख्या ही आधार।।

 भले ही पत्नी रूपवती हो,

बंदर सी रखैल  कमियों के लक्षण।।

राजमहल में अंतःपुर सुंदरियाँ,

शासक, अमीर अनाथों के कारण।।

 राजकुमारी के लिए लड़ाई,

  राजा के वीर काव्य किसी ने न सोचा,

 वीरों की की पत्नी अनाथ, बच्चे अनाथ।।

  निर्झरी प्रेमी प्रेमिका,कहते हैं त्याग।

 एक के प्यार की लड़ाई,आसानी से विदेशी।।

 अहंकार, कामान्ध ता, में संयम/जितेंद्रियता न तो

  पगली को भी बलात्कारी न छोड़ते,

 अंधी को भी न छोड़ते,

इन्सान जानवर बन जाता,

इन्सानियत न तो वह इन्सान नहीं।

सार्वजनिक स्थानों में चुंबन आलिंगन

 अनुमति का आन्दोलन,

 डिग्रियाँ बढ़ते बढ़ते 

बलात्कार कालेज के छात्र,

चित्र पट, मोबाइल चित्र का प्रभाव।

छात्रावस्था में  असंयम व्यवहार।

 अनाथालय चलाते,अंग शल्यचिकित्सा  के लिए।।

 इन्सानियत न तो भ्रूण हत्याएँ,

अनाथालय अनाथ जितेंद्रियता और ज्ञनुष्यता का अभाव।।

 संचार साधनों का  धन लोभ।।

 स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

Monday, July 5, 2021

मंगल पाण्डेय।

 हिंद देश परिवार बलिया को नमस्कार, वणक्कम।

6-7-2021.

माँ भारती के लाल मंगल पाँडे।

मौलिक रचना तो मौलिक शैली विधा ही सही।

*************************

शहीद /त्यागी मंगल पाँडे, भारत का लाल।

 जाति का ब्राह्मण, परशुराम परंपरा का असर।।

 अंग्रेज़ी सेना का सिपाही, तत्समय वातावरण।।

सब के सब संस्कृत व संस्कृति तज,

 अंग्रेजों का पिछलग्गू बन गये,

 वकील बने,गुमाश्ता बने,अपने आचार व्यवहार छोड़े।

अंग्रेज़ मनमाना करते रहे, भारतीय सब सहते रहे।

सात-आठ साल का गुलाम सैनिक पाँडे का स्वाभिमान

खून तब खौल उठा,जब अंग्रेजों ने सुअर की चर्बी

कारतूस में लगाने का आदेश दिया।

 हिंदू लोगमाँस न छूते खासकर ब्राह्मण।।

सन्1857ई . में पहली स्वतंत्रता सेनानी बना।

सिपाही क्रांति,सब को कानून के विरुदृध भटकाया।।

 स्वतंत्रता की पहली चिनगारी सुलगाई।

सबने उनकी बात मान ली,

अंग्रेज़ों के विरुद्ध धारा लगाया।

मंगर पांडे के समर्थकों की संख्या बढ़ी।

अंग्रेजों ने उसको कैद करने की कोशिश की।

पाँडे खुद खुशी करने की प्रार्थना की,पर सफल न हुआ।

 1857के क्रांति नायक को सैनिक विरुद्ध 

काम करने का आरो लगाकर कैद किया।

वीर त्यागी मंगल पांडे को फाँसी पर चढ़ाया।

 भारतीय स्वतंत्रता  आंदोलन का 

बुनियाद डालकर  स्वर्ग सिधारे।

धन्य है वह माईका लाल,

उनके प्रति श्रद्धांजलियाँ,

उनके पर का चिर अनूकरण।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नै

तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

पल पल

 नमस्ते वणक्कम।

साहित्य बोध जम्मू और कश्मीर इकाई।

5-7-2021

विधा --मौलिक रचना है तो मौलिक विधा।

 विषय  : भय

++++++++++++

असहनीय कष्ट,पीड़ा, खतरा आना ही भय।।

प्राकृतिक भय बाढ़,भूख कंप, संक्रामक रोग।

 रिश्वत के पैसे पाप का भय,

 भ्रष्टाचार को अपनी संपत्ति है सजा का भय।।

चुनाव में हार जीत का भय।

 छात्र छात्राओं को परीक्षा,

 परीक्षा परिणाम, कम  अंक का भय।

पटाखे छोड़ते समय हाथ पैर जलने का भय।।

 भय के कारण शारीरिक, मानसिक दुर्बलता।

मृत्यू का भय, रोग का भय,

 व्यापारी को लाभ नष्ट का भय।।

 आदमखोर और विषैले जंतुओं का भय।।

 मच्छर मक्खियों का भय।

 कुदरत का भय खुदा की देन।।

 कृत्रिम भय मानव का कर्मफल।।

 स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

भय

 नमस्ते वणक्कम।

साहित्य बोध जम्मू और कश्मीर इकाई।

5-7-2021

विधा --मौलिक रचना है तो मौलिक विधा।

 विषय  : भय

++++++++++++

असहनीय कष्ट,पीड़ा, खतरा आना ही भय।।

प्राकृतिक भय बाढ़,भूख कंप, संक्रामक रोग।

 रिश्वत के पैसे पाप का भय,

 भ्रष्टाचार को अपनी संपत्ति है सजा का भय।।

चुनाव में हार जीत का भय।

 छात्र छात्राओं को परीक्षा,

 परीक्षा परिणाम, कम  अंक का भय।

पटाखे छोड़ते समय हाथ पैर जलने का भय।।

 भय के कारण शारीरिक, मानसिक दुर्बलता।

मृत्यू का भय, रोग का भय,

 व्यापारी को लाभ नष्ट का भय।।

 आदमखोर और विषैले जंतुओं का भय।।

 मच्छर मक्खियों का भय।

 कुदरत का भय खुदा की देन।।

 कृत्रिम भय मानव का कर्मफल।।

 स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

धैर्य

 नमस्ते वणक्कम।

 साहित्य बोध।

जीवन में धैर्य जरूरी है।

विधा। मौलिक विधा मौलिक रचना।

3-7-2021.

 धैर्य  साहस न तो

  धिक्कार है मानव जीवन।।

   ज्ञान धारा के प्रवर्तक कबीर की यादें।

   जिन ढूंढे तिन पाइया,गहरे पानी पैठ।

   मैं बौरी डूबन  डरी,रही किनारे बैठ।।

  साहसी न तो अमेरिका का पता नहीं।

 साहसी धीर वीर नहीं तो देश की सुरक्षा नहीं।

 जंगली जटि- बूटियों का पता नहीं।।

पारासूट  से कूदने वाले वीर नहीं।

 नये नये द्विपों का पता नही।

 खूँख्वार जानवरों से हिफाजत नहीं।।

 धैर्यवान पुरुषोत्तम न तो सिकंदर  लौटता नहीं।

 शारीरिक, मानसिक धैर्य न तो जीना दुश्वार।।

मंच पर भाषण देना कायरों से असंभव।।

 दरबार में बोलने का साहस न तो

वह शिक्षा का कोई मूल्य नहीं।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नै।

Sunday, July 4, 2021

धैर्य

 नमस्ते वणक्कम।

 साहित्य बोध।

जीवन में धैर्य जरूरी है।

विधा। मौलिक विधा मौलिक रचना।

3-7-2021.

 धैर्य  साहस न तो

  धिक्कार है मानव जीवन।।

   ज्ञान धारा के प्रवर्तक कबीर की यादें।

   जिन ढूंढे तिन पाइया,गहरे पानी पैठ।

   मैं बौरी डूबन  डरी,रही किनारे बैठ।।

  साहसी न तो अमेरिका का पता नहीं।

 साहसी धीर वीर नहीं तो देश की सुरक्षा नहीं।

 जंगली जटि- बूटियों का पता नहीं।।

पारासूट  से कूदने वाले वीर नहीं।

 नये नये द्विपों का पता नही।

 खूँख्वार जानवरों से हिफाजत नहीं।।

 धैर्यवान पुरुषोत्तम न तो सिकंदर  लौटता नहीं।

 शारीरिक, मानसिक धैर्य न तो जीना दुश्वार।।

मंच पर भाषण देना कायरों से असंभव।।

 दरबार में बोलने का साहस न तो

वह शिक्षा का कोई मूल्य नहीं।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नै।

Saturday, July 3, 2021

इन्सानियत

 साहित्य बोध हरियाणा इकाई।

नमस्ते वणक्कम।

इन्सानियत का धर्म।

विधा  मौलिक रचना मौलिक विधा। निज रचना निज शैली।।

4-7-2021.

**************

 इन्सान और जानवर दोनों में

 कोई भेद नहीं , इन्सानियत ही भेद।।

 इन्सान का धर्म इन्सानियत।।

मनुष्यता न तो मानव सम्मान नहीं।।

मनुष्यता न तो मानव मूर्ख पशु।

 जितेंद्र बनना ही इन्सानियत।।

सार्वजनिक स्थानों में आलिंगन,चुंबन,अर्द्धनग्नता

 इन्सानियत नहीं पशुत्व।

 कामेच्छा नियंत्रण न तो

कुतिया के पीछे चलनेवाले

 कुत्ते और मानव में क्या फर्क पड़ता।।

 मानवता का प्रथम  लक्षण आत्म-संयम।

परोपकार, दान धर्म, दयालुता, सहानुभूति

भलमान साहस ,देश भक्ति,देव भक्ति,

विनम्रता, अच्छी चाल-चलन,

चरित्र गठन,सत्याचरण, मानवता/इन्सानियत के धर्म लक्षण।।

सबहिं नचावत राम गोसाईं।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

सरस्वती वंदना

 हिंद देश परिवार दिल्ली इकाई।

नमस्ते वणक्कम।।

सरस्वती वंदना।

 मौलिक रचना मौलिक विधा।

निज रचना निज शैली।।

4-7-2021.

**********

ईश्वर  की सृष्टियों में

 विविध बुद्धि लब्धी के आदमी।।

 अमीरी गरीबी,वीर कायर।।

इन सब भेदों में

 विद्वान अर्थात बुद्धि मान ही बलवान।।

 स्वदेश में ही शासकों का सम्मान।।

 विद्वानों का सम्मान अगजग में।

 कलाओं की देवी,

 शिक्षा की देवी

 सरस्वती देवी का अनुग्रह न तो

 धनी और वीरों को कौशल कैसे?

   अगजग में  अमर ग्रंथ,

 वेद, कुरान, बाइबिल न तो

 शांति कैसे? संतोष कैसे?

समझौते कैसे? न्याय कैसे?

  सत्य असत्य का पहचान कैसे?

 हे वीणा पाणी! सरस्वती देवी!

मैं हूँ तेरा भक्त!  तेरे शरणार्थी!

  बुद्धू कालिदास को ज्ञहाकवि बनाया।

 डाकू रत्नाकर को आदी कवि वाल्मीकि बनाया।।

जोरू का गुलाम  तुलसीदास को

 हिंदी साहित्य का चंद्र बनाया।

  कबीर अनपढ़ को वाणी का डिक्टेटर बनाया।।

आध्यात्मिक  क्षेत्र में  ऋषि-मुनियों को ज्ञान दिया।

मुझे भी अपना लो, ज्ञान दो।

मेरा  अज्ञान दूर करो।

  सरस्वती देवी ज्ञान दो।

++++++++++

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

परिवर्तन

 नमस्ते वणक्कम।

कलमकार कुंभ।

परिवर्तन।

विधा --मौलिक रचना मौलिक विधा।

निज रचना निज शैली।

4-7-2021.

*********************

 परिवर्तन प्राकृतिक देन है।

 ऋतु परिवर्तन ,

  शैशवास्था, जवानी,प्रौढ़, बुढ़ापा  ईश्वरीय परिवर्तन।।

   ईश्वरीय परिवर्तन के नियम तो स्थाई।।

  ईश्वर ने मानव को ज्ञान दिया है।

  ज्ञान और विज्ञान  

आचार, विचार, गुण में ,

सभ्यता में,रहन-सहन में

संस्कृति में, खान-पान में

जीवन शैली में,

हर बात पर परिवर्तन लाते हैं।

 नंगा आदमी, कौपीन आदमी,कोटशूट, टै,शू,

पोशाक परिवर्तन,

अनुशासन, चरित्र गठन ,

सत्याचार,  हिंसा, अहिंसा में 

कितने-कितने परिवर्तन।।

डाकू से महर्षि,

अंगुली माल, अशोक जैसे क्रूर के

 अहिंसात्मक  परिवर्तन,

मज़हब, मज़हबी शाखाएँ,

शैव, वैष्णव  भक्ति में परिवर्तन।।

हीनयाण,महायाण, दिगंबर, श्वेतांबर।

शिया,सुन्नी, कैथोलिक,प्रोटोस्टैंड,

न जाने मूल से शाखाएँ,

इन सब की कट्टरता,नफ़रत

हर बात में परिवर्तन।।

भेद भावों के बीच एकता और मनुष्यता

लाने में विचार परिवर्तन।।

 पेय जल में मिनरल वाटर।

 साहित्यिक विधाओं में परिवर्तन।।

रसोई बनाने के चूल्हों में परिवर्तन।।

 स्वाद परिवर्तन, ।

 शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन।।

जंगली,नगरी, ग्रामीण परिवर्तन।

अभिवादन प्रणाली में परिवर्तन।।

बाजा बजाने में, नाट्य कला में

 ग्रामीण ,नगरी की बोली में परिवर्तन।

इतना ही नहीं, शौचालय में कितना परिवर्तन।।

परिवर्तन का कोई अंत नहीं,

परिवर्तन न तो प्रगति ही नहीं।।

श्मशान में  विद्युत श्मशान,

लाश के जलन में समय बचाव।।

लकड़ी से जलाना  कम।

हरि अनंत हरि कथा अनंत।।

परिवर्तन की कथा अनंत।

  खबर भेजने में sms mobile.

वर्णनातीत  परिवर्तन।।

   देवालय की घंटी विद्युत ।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

Friday, July 2, 2021

भ्रूण हत्या

 नमस्ते वणक्कम।

कलमकार साहित्य शोध संस्थान भारत।

भ्रूण स्त्री रोके हम सब।

विधा : मौलिक रचना मौलिक विधा।


 भारत में ज्योतिष निस्संतान लोगों से कि ‌आपको सर्प दोष है।

अतः संतान नहीं है। वास्तव में   संतान न होने के कारण 

  भ्रूण हत्या है। ईश्वर ने संतान भाग्य दिया है।

   भाग्यवान चक्रवर्ती होने से नहीं   संतान पाना है।

 संतान भाग्य न तो   परंपरा खत्म।। 

 मुगल और ईसाई  गर्भनिरोधक गोलियां या उपकरण या भ्रूण हत्या नहीं  करते। आजादी के बाद उनकी संख्या बढ़ती रहतीं हैं।

नाग सर्प मारने से ही बच्चे नहीं होते तो भ्रूण हत्या बहुत बड़ा पाप है। कुल वृद्धि न हो तो लाभ क्या?  

 ज्योतिषों को यही वास्तविक बात कहनी चाहिए।

 सरकार परिवार नियोजन के प्रचार कर रही है।

  भ्रूण हत्या कुंंती देवी ने न की।।

  आजकल कृत्रिम  गर्भ  ,भाड़े की माँ,शुक्ल दान 

आदि  केंद्र  बढ़ रहे हैं।चीन में भी अब बच्चे पैदा करने को

प्रोत्साहन हो रहा है।

 भ्रूण हत्या करना कुल वृद्धि रोकना बराबर है।

 अतः भ्रूण हत्या से बचिए। शिशु हत्या बडी वेदना देगी।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,

प्र

 नमस्ते वणक्कम।

समतावादी कलमकार साहित्य शोध संस्थान  भारत।

2-7-2021.

विषय  ग़लत/बुरी परंपरा का अवसान होना चाहिए।

विधा मौलिक रचना चाहे़ तो मौलिक विधा मान्य।।

+++++++++++++++++++++

इतिहास साक्षी है अच्छे राज वंश,

बुरे व दुर्बल वारीश के आते ही अंत।।

खान वंश गाँधी वंश का खाल पहना।।

 भेद खुला, माँ,बेटे कर्म फल अंत।।

 जगाने सूरज सुलाने अवसान।

 चंद्रोदय शीतल सुस्ताने चाहिए

 दिनांत,जगाने सूर्योदय,शशि अवसान।।

 बुरी परंपरा,बुरे लोग खुद मिटते

मिटाते या मिटाते जाते।।

 मानव से असंभव है तो

 ईश्वर  का अवतार होता,

 छे ऋतुओं के चक्कर का अवसान

 बुरे  बूढ़े नालायक का अंत,

 नये हरियाली का आरंभ।।

शिथिल बुढ़ापे से क्या फायदा,

ईश्वर का नियम जन्म मृत्यु।।

सबहिं नचावत राम गोसाईं।

 स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै

तमिल नाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

शादी

 शादी बंधन है जीवन में,

 चाहते हैं,

 शादी के बाद रोते हैं,

शादी के पहले  चाहते हैं,

सुना,शादी के बाद पति

पत्नी की कठपुतली,

 पर सिद्धार्थ ने बंधन में।

 मेरे कई नाते, रिश्ते,

 परिणय के बाद तो 

पियक्कड़ बने,

न बंधन तोड़ा,

लड़खड़ाते कदमों में

 घर में घुसने, गालियाँ सुनीं,

पत्नी भी मार पीट गालियाँ,रातें सही,

 मंगल सूत्र गिरवी रख 

 नशे पति ने जाने

 यह वैवाहिक बंधन तोड

 अलग अलग न जा सके।

 यह शादी बंधन विचित्र भारत में।

पाश्चात्य देशों में टूटने में न होती देरी।।

खुर्राटे के आवाज़ भी असहनीय,

कर देती तलाक।

यह संक्रामक रोग 

भारत में फ़ैल रहा है,

 वकील बेकार नहीं,

तलाक के मुकद्दमे हैं।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन। चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।


Thursday, July 1, 2021

அருட் பார்வை

 Anandakrishnan Sethuraman

வணக்கம்.
அகவை கூடியதால் அருட்பார்வை.
காதலாகிக் கசிந்துருகி கண்ணீர்… 
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May be an image of 2 people, including Kumar Iyer Krishnan and text that says "உன் நகை வாழக SனN கவிஞர்கள் கலைக்கூடம் பழனி கவிஞர். சே அனந்த கிருஷ்ணன் சென்னை பதிவு எண். 412 நிறுவுநர் கவிஞர்.ஜோஸ்பின் ்.ஹோஸ்பின் மேரி"
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  • 1 d
  • முத்து நகர் முத்து குமார்
    12×4=48 வரிகள் இதற்கு ஏற்ப வரிக்கு நான்காக
    வரிகளை பிரித்து காட்டிலும் கவியே
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    • 4 h
    • Anandakrishnan Sethuraman
      முத்து நகர் முத்து குமார் நான்கு சொற்கள் பன்னிரெண்டு வரிகள்
      என் தமிழார்வம். இதில் எடிட் செய்ய முடியவில்லை.
      நான் படிக்கும் பொழுது எனக்கு மன நிறைவை தன் தருகிறது.… 
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      • 1 h
    • Anandakrishnan Sethuraman
      அகவை கூடியதால் அருட் பார்வை/1.
      காதலாகி கசிந்து உருகி கண்ணீர்/2
      இறைக் காதலால் இறை கண்ணீர்/3
      இறை விழிக் காதல் ஒன்றிய/4
      அருள் விழிப்பு உணர்வு விழியிலே/5
      காதல் தெய்வக் காதல் ஒளி/6
      சக்தி பெற்ற பார்வை கவரும்/7
      கருவிழி கரு ஏற்றிய கதை/8
      விழி காட்டுமே விருப்பு வெறுப்பு/9
      விழியோடு விழி பேசும் தத்துவம்/10
      இரக்கம், கடும் மந்திரம் குற்றம்/11
      காட்டிடும் கருவிழி ஒளியே காண்./12
      கண்ணடித்தாள் காதல் விழி துடிக்க/13
      வழிமேல் விழி வைத்த தோழியின்/14
      காதல் விழியிலே நாணம் பொங்குமே/15
      காதல் போதை விழியில் தள்ளாடுமே /16.
      பழநி சே.அனந்தகிருஷ்ணன்