Wednesday, July 21, 2021

साहित्य और समाज

 नमस्ते। वणक्कम।

समतावादी कलमकार साहित्य शोध संस्थान भारत।

 विषय --साहित्य और समाज।

 विधा ---मौलिक रचना मौलिक विधा।

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 साहित्य लोक हित के लिए  लिखा जाता है।

 जैसा भी हो असभ्य लोगों को सभ्य 

बनाने के लिए ही दिव्य ग्रंथ  वेद, 

बाइबिल, कुरान और नीति ग्रंथ आदि।

 साहित्य का कथानक सत्य पर आधारित है।

सामाजिक घटनाओं के यथार्थ रूप का यथार्थ वर्णन,

आदर्श वर्णन, यथार्थ आदर्शवाद,  छायावाद, रहस्यवाद,

प्रगतिवाद साहित्य के विविध रूप  समाज से ही साहित्य बना है।

 रामायण, महाभारत आदि पौराणिक  काव्य वीर गाथा काल,

भक्ति काल,रीति काल, आधुनिक काल के साहित्य आदि की खोज  ग्रंथ के अध्ययन से  पता चलता है कि साहित्य और समाज का घनिष्ठ संबंध है।  Kuldeep Ruheala  आज कल फिर साहित्य रीतिकालीन  ऐश आराम नशीली चीजें, मधुशाला आय से सरकार, भ्रष्टाचार,रिश्वत, बलात्कार, राजनैतिज्ञ, पुलिस  और अमीरों के अत्याचार ,मुकद्दमे का खारीज, न्याय में विलंब, बद्माश ही कथा का नायक खूनी लुटेरा, फिर नायिका के प्रभाव से अच्छा,

 न्यायलय,मंत्री, पुलिस सब अधिकार बदमाश बदला नायक के हाथ में, वहीं अंत में पूजनीय। यह भी सम्राट अशोक का कथानक। सच्ची घटना पर आधारित।

साहित्य और समाज का निकट संबंध। एक दूसरे से अन्योन्याश्रित।

साहित्य समाज का दर्पण है।।

  स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

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