मैं तो न दिल्ली वाला,
दिल्ली मात्र नहीं,
अगजग में जीना है तो
दिल वाला बनना चाहिए।।
दिल वाले दुल्हनिया मात्र नहीं,
अगजग की वांछित चीजें ले जाएँगे।।
आम का साहस कमल को नहीं,
आम दिलवाले दिल्ली मैं कमल खिलने न दिया।
मैं ने दिल्ली न देखी,
इतिहास के पन्नों में
दिलवालों के शासन का सामना
दिल वाले करते रहे।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन।
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