Monday, July 5, 2021

मंगल पाण्डेय।

 हिंद देश परिवार बलिया को नमस्कार, वणक्कम।

6-7-2021.

माँ भारती के लाल मंगल पाँडे।

मौलिक रचना तो मौलिक शैली विधा ही सही।

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शहीद /त्यागी मंगल पाँडे, भारत का लाल।

 जाति का ब्राह्मण, परशुराम परंपरा का असर।।

 अंग्रेज़ी सेना का सिपाही, तत्समय वातावरण।।

सब के सब संस्कृत व संस्कृति तज,

 अंग्रेजों का पिछलग्गू बन गये,

 वकील बने,गुमाश्ता बने,अपने आचार व्यवहार छोड़े।

अंग्रेज़ मनमाना करते रहे, भारतीय सब सहते रहे।

सात-आठ साल का गुलाम सैनिक पाँडे का स्वाभिमान

खून तब खौल उठा,जब अंग्रेजों ने सुअर की चर्बी

कारतूस में लगाने का आदेश दिया।

 हिंदू लोगमाँस न छूते खासकर ब्राह्मण।।

सन्1857ई . में पहली स्वतंत्रता सेनानी बना।

सिपाही क्रांति,सब को कानून के विरुदृध भटकाया।।

 स्वतंत्रता की पहली चिनगारी सुलगाई।

सबने उनकी बात मान ली,

अंग्रेज़ों के विरुद्ध धारा लगाया।

मंगर पांडे के समर्थकों की संख्या बढ़ी।

अंग्रेजों ने उसको कैद करने की कोशिश की।

पाँडे खुद खुशी करने की प्रार्थना की,पर सफल न हुआ।

 1857के क्रांति नायक को सैनिक विरुद्ध 

काम करने का आरो लगाकर कैद किया।

वीर त्यागी मंगल पांडे को फाँसी पर चढ़ाया।

 भारतीय स्वतंत्रता  आंदोलन का 

बुनियाद डालकर  स्वर्ग सिधारे।

धन्य है वह माईका लाल,

उनके प्रति श्रद्धांजलियाँ,

उनके पर का चिर अनूकरण।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नै

तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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