साहित्य बोध हरियाणा इकाई।
नमस्ते वणक्कम।
इन्सानियत का धर्म।
विधा मौलिक रचना मौलिक विधा। निज रचना निज शैली।।
4-7-2021.
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इन्सान और जानवर दोनों में
कोई भेद नहीं , इन्सानियत ही भेद।।
इन्सान का धर्म इन्सानियत।।
मनुष्यता न तो मानव सम्मान नहीं।।
मनुष्यता न तो मानव मूर्ख पशु।
जितेंद्र बनना ही इन्सानियत।।
सार्वजनिक स्थानों में आलिंगन,चुंबन,अर्द्धनग्नता
इन्सानियत नहीं पशुत्व।
कामेच्छा नियंत्रण न तो
कुतिया के पीछे चलनेवाले
कुत्ते और मानव में क्या फर्क पड़ता।।
मानवता का प्रथम लक्षण आत्म-संयम।
परोपकार, दान धर्म, दयालुता, सहानुभूति
भलमान साहस ,देश भक्ति,देव भक्ति,
विनम्रता, अच्छी चाल-चलन,
चरित्र गठन,सत्याचरण, मानवता/इन्सानियत के धर्म लक्षण।।
सबहिं नचावत राम गोसाईं।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
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