Saturday, July 3, 2021

सरस्वती वंदना

 हिंद देश परिवार दिल्ली इकाई।

नमस्ते वणक्कम।।

सरस्वती वंदना।

 मौलिक रचना मौलिक विधा।

निज रचना निज शैली।।

4-7-2021.

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ईश्वर  की सृष्टियों में

 विविध बुद्धि लब्धी के आदमी।।

 अमीरी गरीबी,वीर कायर।।

इन सब भेदों में

 विद्वान अर्थात बुद्धि मान ही बलवान।।

 स्वदेश में ही शासकों का सम्मान।।

 विद्वानों का सम्मान अगजग में।

 कलाओं की देवी,

 शिक्षा की देवी

 सरस्वती देवी का अनुग्रह न तो

 धनी और वीरों को कौशल कैसे?

   अगजग में  अमर ग्रंथ,

 वेद, कुरान, बाइबिल न तो

 शांति कैसे? संतोष कैसे?

समझौते कैसे? न्याय कैसे?

  सत्य असत्य का पहचान कैसे?

 हे वीणा पाणी! सरस्वती देवी!

मैं हूँ तेरा भक्त!  तेरे शरणार्थी!

  बुद्धू कालिदास को ज्ञहाकवि बनाया।

 डाकू रत्नाकर को आदी कवि वाल्मीकि बनाया।।

जोरू का गुलाम  तुलसीदास को

 हिंदी साहित्य का चंद्र बनाया।

  कबीर अनपढ़ को वाणी का डिक्टेटर बनाया।।

आध्यात्मिक  क्षेत्र में  ऋषि-मुनियों को ज्ञान दिया।

मुझे भी अपना लो, ज्ञान दो।

मेरा  अज्ञान दूर करो।

  सरस्वती देवी ज्ञान दो।

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स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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