नमस्ते नमस्ते ।
वणक्कम वणक्कम।
साहित्य संगम संस्थान
गुजरात इकाई।
२३-३-२०२१.
विषय शहीद दिवस।
विधा --अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।
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शहीद न तो
भोगी सुखी कैसे?
एक नेता की प्रेरणा।
करोड़ों शहीद आजादी की लड़ाई में तन,मन,धन त्यागे।।
आज़ादी आसानी से न मिली।
सिर्फ नरम दल के
सत्याग्रही से नहीं,
गर्म दल के तीव्र कदम।।
नरम दल खून बहाते रहे।
गर्म दल आतंकवादी,
अंग्रेज़ों को अपने अधिकार जमाने में अड़चनें करते रहे।।
कइयों ने जानें ली, जानें दीं।।
सुख देव, भगतसिंह, वीर सावरकर, वीरपांडिय कट्टपोम्मन, झांसी रानी, वैलुनाच्चियार, अल्लूरी सीताराम राजू,
व.उ.चिदंबरनार, सुब्रह्मण्यशिवा,
लाल,पाल,बाल
लाला लजपतिराय, विपिन चंद्रपाल,बाल गंगाधर तिलक
सुभाषचन्द्र बोस,
कितने शहीद, कितना कष्ट सहे।।
कितने अंग्रेजों के चापलूसी,
उपाधियाँ पाकर संस्कृत व संस्कृति भूलकर वकील बने।
विलायत में वकील,
थप्पड़ का नतीजा,
अंग्रेज़ के विरुद्ध संग्राम।।
उनके पहले ही आजादी की चिनगारी भटकने लगी।।
गर्म दल के शहीद हिलाने लगे, तार ,रेल,थाना धधकने लगे।
नरम दल
लाठी का मार सहते रहे।
मार पर मार, जेल यात्रा,
अंदमान की कालकोठरी।
नतीजा आजादी।।
पर आजादी के बाद
बँटवारा फिर भी धर्मनिरपेक्ष।
दो हजार मंदिर मस्जिद के अंदर।
फिर एक आजादी चाहिए।
उन शहीदों की आत्माएँ
शांति पाने भारतीय भाषाओं में जीविकोपार्जन चाहिए।
सत्तर साल के बाद
स्वच्छभारत का नारा।
राष्ट्रीय शिक्षा।
राष्ट्रीय लेशन कार्ड।
उन शहीदों के कारण।
श्रद्धांजलि याँ उन शहीदों को
शहीद दिवस के पुण्य तिथि पर।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
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