साहित्य संगम संस्थान तेलंगाना इकाई।
५-३-2021
विषय बेरुखी।
विधा -कविता।
बेरुखी बातें करना ही पड़ता है ,
जब अन्याय चलता है ,
प्रेम में ठग ,पूजा में ठग ,
मंदिर की संपत्ति हड़प ,
बेरुखी क़ानून व्यवहार।
महंगाई बढ़ती देख ,
होता है मन बेरुखी।
भ्रष्टाचारी रिश्वत खोरी ,
अवैध बलात्कार ये सब देख सुन ,
बेरुखी न हो तो
मानव मानव नहीं राक्षस मान।
स्वरचित स्वचिंतक एस। अनंतकृष्णन , चेन्नई
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