नमस्ते वणक्कम।
साहित्य संगम संस्थान तेलंगाना इकाई।
दिनांक १३-३-२०२१.
विषय संगीत।
विधा --अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।
संगीत भारत में दिव्यानुभूति।।
हर एक भगवान के हाथ
एक एक बाजा।
शिव के हाथ डमरू।
विष्णु के हाथ शंख।
कृष्ण के हाथ बाँसुरी।
शिवगणों के बाजा विविध।।
ढोल तो सूचना और युद्ध वाद्य।
सरस्वती के हाथ वीणा।।
नंदीश्वर मृदंग।
शहनाई नादस्वरम् मंगल वाद्य।
सोने के लिए लोरी।
इलाज के लिए
हर रोग का
हर राग अति प्रिय।।
दूध दुहने राग,
पौधे उगाने राग,
शिला तोड़ने राग।
हिरण,साँप संगीत में नियंत्रित।
शोक गीत।
प्यार गीत ।
दार्शनिक गीत।
प्रार्थना गीत।
स्वागत गीत।
राष्ट्रगीत।
राष्ट्रगान।
विविध राग,
विविध संगीत ध्वनि याँ।
तोते कोयल में संगीत।
विविध पक्षियों के कलरव।
जगाने मुर्गा।
संगीत में असीम वर्णनातीत शक्ति ।
स्वरचित स्वचिंतक
एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
No comments:
Post a Comment