साहित्य संगम संस्थान तमिलनाडु इकाई।
दिनांक ६-३-२०२१.
विषय :नारी जीवन
विधा: अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति। पाठक का निर्णय।
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नारी जीवन
पाश्चात्य हो या भारतीय।
अधिकार है,कानून हैं
फिर ईश्वरीय
कोमलतम सृष्टि।।
पुरुषों की बाज दृष्टि।
संयमी, जितेन्द्रियता
आजकल के चित्र पट,
समाचार ,
ईश्वरीय आतंक अभाव।
आज स्नातकोत्तर नौकरी
फिर भी घर का काम।।
संतान पालन,पति सेवा।
मोहनदास करमचंद गांधी ने कहा -आधी रात स्वर्ण सज्जित स्त्री अकेली
जब तक सुरक्षित नहीं घूमती,
तब तक आजादी नहीं मिली।
आज भी कई निर्भया।
आतंकित अधिकारी का डर।
डाक्ट्रेट मार्गदर्शक प्राध्यापक।
सबके सब बुरे नहीं,
दिव्य सृष्टि में रावण,कंस,
आसुरी शक्तियाँ ,
सिक्के के दो पक्ष,
बिजली की रोशनी,
असावधानी धक्का।।
यही है मानव जीवन।।
नारी प्रकृति त्रेतायुग द्वापरयुग कलियुग में
जरा सी असावधानी लव-जिहाद।
आत्मनियंत्रित फिर भी
शादी पति पत्नी कर्म फल।।
भगवान का वरदान से
नारी जीवन नरक तुल्य या स्वर्ग तुल्य जान।।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
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