Saturday, March 6, 2021

आँगन

 हिंदी साहित्य संगम संस्थान ,तेलंगाना इकाई

नमस्ते। वणक्कम।
६-३-२०२१ विषय ---
आँगन विधा अपनी शैली अपनी भाषा अपनी भावाभिव्यक्ति
जब मैँ बच्चा था , अपने गाँव में
आँगन बीच घिरा हुआ घर
चारों ओर कमरे रसोई घर।
बीच के आँगन में देखता
रिमझिम रिमझिम वर्षा।
धूप ,हवा,खड़े होकर ऊपर देखता तो
आकाश ,नीचे भूमि पंच भूतों का प्रवेश।
स्वास्थ्य का केंद्र आँगन।
रोशनी हवादार घर वजह आँगन।
आज तो आँगन में भी कमरा।
शहरों में आँगन रहित घर। मच्छरों का आवास।
आँगन में पंचतत्वों का बाधा रहित प्रधान अंश।
स्वरचित स्वचिंतक एस. अनंतकृष्णन ,चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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