साहित्य संगम संस्थान पंजाब इकाई।
नमस्ते वणक्कम।
बचपन
अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।
बचपन अति सुखी,
मां बाप का प्यार।
सुखी पक्ष।
कर्ण राजकुमार का बचपन,
कबीर का बचपन,
अनाथालय का बचपन।
बाल भिखारी,बाल मजदूर।
बचपन सबका आनंदमय नहीं।
सरकारी स्कूल, निजी स्कूल
हम उम्र के बच्चे,
हीनता ग्रंथि ।
सबहिं नचावत राम गोसाईं
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै।
No comments:
Post a Comment