नमस्ते ।। वणक्कम।।२४-१२-२०२०
गुरु वार।
हम हैं कलम रथी!
विधा अपनी भाषा
अपनी शैली
अपना छंद।।
भावाभिव्यक्ति ,जन जन की भाषा।।
संस्कार,संस्कृति ,समन्वय
समाज सुधार, हमारे लक्ष्य।।
हम हैं कलम रथी।
हम में कुछ प्रेम गीत के पक्ष।
हम में कुछ देश प्रेम के प्रेरक।
हम में कुछ आध्यात्मिक प्रेरक।।
हम में कुछ आस्तिक,
हम में कुछ नास्तिक।
हममें कुछ आस्तिक नास्तिक
छद्मवेशी।
हम में कुछ अवसर वादी।
हम में कुछ समाजवादी।
हममें कुछ साम्यवादी।
हम हैं कलम रथी।
हमारी कृतियों में
श्री नसीहतें मिलेंगी।
यथार्थ वाद, आदर्शवाद
आदर्शोन्मुख यथार्थ वाद।
हम हैं कलम रथी।
मार्ग प्रदर्शक, ज्ञान दाता,
निराशा में आशा भरने वाले।
गुप्तजी से प्रेरणा मिली--
नर हो,न निराश करो मन को।।
हम हैं कलम रथी।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,
चेन्नै।
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