நமஸ்தே.வணக்கம்..
"चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात"
पूर्णिमा की चांदनी मासिक वेतन।।
प्रेमचंद की कहानी में पढ़ा था।
नायक के पिता ऊपरी आमदनी की
नौकरी की तलाश करने की सलाह।।
शादी दो दिन ,खर्च दस लाख।।
ब्यूटि पार्लर , मेहंदी खर्च ,
बर्फ की मूर्तियां,
तरकारियों के खिलौने,
ये खर्च चार दिन की चांदनी,
फिर अंधेरी रात।।
गणेश की सुंदर मूर्तियां,
पूजा-अर्चना आराधना,
दस दिन में विसर्जन के नाम।।
भगवान का बड़ा अपमान।।
छिन्न भिन्न अपमान के भगवान,
हिंदुओं को ऐसा गणेश-काली शाप,
हिंदुओं की एकता-अखंडता में भंग।।
अज्ञानी भक्त सोच रहे हैं,
हिंदुओं की एकता की झांकी।
चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात।।
अल्प लोगों की बड़ी सुविधाएं,
हिंदू खोरहे हैं, माया महा ठगनी।।
चार दिन की चांदनी भक्ति,
फिर शाप की अंधेरी रात।।
यह ईश्वर का संकेत,
बहुसंख्यक माने न माने,
अनंतकृष्णन की बात।।
मामूली हिंदी प्रेमी।
बाह्याडंबर खर्च सब के सब,
चार दिन की चांदनी,
फिर अंधेरी रात।
बाढ अधिक
पानी जमा करने की सुविधा नहीं,
चार दिन के बाढ,
फिर पानी की कमी।।
चार दिन की चांदनी,
फिर अंधेरी रात।।
स्वरचित,स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।।
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