२६-१२-२०२०
शीर्षक ----प्रकृति
[26/12, 8:28 pm] Ananthakrishnan: नमस्ते वणक्कम।
प्रकृति अति सूक्ष्म।
नाना रंग के फूल।
फूलों के बदबू खुशबू।
आदमखोर जानवर।
सूक्ष्मदर्शी जीव कीड़े मकोड़े।
बिच्छू का काटना,
साँप का डसना।
मच्छरों का खून चूसना।
प्रतिभाशाली मंद बुद्धि मानव।
स्वादिष्ट सुवास भोजन।
सुबह बद्बूदार निकलना।।
मीठा पानी,खारा पानी।
खट्टे-मिट्टे-कडुए फल।।
धूप छांव, गर्म धूप, शीतल चाँदनी।।
ऊँचे ऊँचे पेड़, घास फूस,
भाव और मनोविकार,
स्वार्थ मानव।
निस्वार्थ मानव,
वीर कायर
प्रकृति अति विचित्र
सबहिं नचावत राम गोसाईं।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।
परिवार दल आज का शीर्षक
प्रकृति।
[26/12, 8:31 pm] Ananthakrishnan: नमस्ते। वणक्कम।
२६-१२-२०२०
परिवार दल।
शीर्षक ----प्रकृति
प्रकृति अति सूक्ष्म।
रंग-बिरंगे फूल, भ्रमर।
ऐसे छोटी सी हरी कीड़ा
उड़कर
आती ,
छुआ तो
अति बद्बू।
चींटी अत्यंत छोटी,
हाथी के कान में घुसना
खतरनाक।।
एक विज्ञापन बड़े बड़े बदमाशों को
पकड़नेवाले इंस्पेक्टर जनरल
मच्छर देख डरते क्यों?
पिताजी को डरानेवाली मां
काकरोच से डरती क्यों?
भगवान ने आदमखोर
जानवरों को क्यों सृष्टि की?
हिरण जैसा शाकाहारी,
मकड़ी जैसी जाल ,फँसी कीड़ा।
सदा लहराती समुद्री लहरें।
मगरमच्छ आँसू अति सूक्ष्म।।
शबनम का दीपक पड़ना,
नदारद होना, अति सुन्दर।
सूर्योदय -सूर्यास्त लालिमा।
कोमल खरगोश,क्रूर भेड़िया।
त्यागी साधु संत, भोगी स्वार्थी।।
भाव और मनोविकार अति सूक्ष्म।।
प्रकृति में सुख आतंक।।
मौसमों का बदलना,
अति सुन्दर।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै
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