Wednesday, December 23, 2020

भरोसा

 नमस्ते। वणक्कम।


भरोसा/विश्वास।

२३-१२-२०२०

विषय  आशा /भरोसा।

विधा अपनी भाषा अपनी शैली अपने विचार अपना छंद।

भगवान पर भरोसा,

 अघोरी बना,आशीषें दीं।।

 भगवान पर भरोसा,

 लंगोटी पहन,

संन्यासी बना,

आशीषें देकर,

भर पेट/अर्द्ध पेट  खाकर,

मंदिर मंडप पर, ठिठुरते सोता।।

प्रवचन देकर विश्वास दिलाकर,

भगवान दर्शन की आशा दिलाकर,

मालामाल बनता।

तहखाने में सोना चांदी रखता।

स्वर्ण सिंह हासन पर बैठ जा।

हीरे का मुकुट पहनता।।

भगवान पर भरोसा रखता।।

 मेहनती किसान तड़के उठता,

हर लेकर खेती करता,

अपने मेहनत से थककर

रात भर मीठी नींद सोता।।

लोभी अपने अभाव र भाव भरने का भरोसा अड़ोस पड़ोस को देखकर,

जलन के मारे जागता रहता।

भ्रष्टाचारी  राजनीतिज्ञ पकड़े जाने के व

धन छिपाने के डर से ,

भरोसा खो नींद की गोलियाँ

बेचैनी की नींद।

उद्योगपति धन पर आशा रख,

 नये नये धंधा शुरू करता,

 दान धर्म के नाम  मंदिर आश्रम को 

दान देता।।

हर एक को भरोसा अलग अलग।।

बेटे को माँ पर भरोसा,

बहु को  मायके पर भरोसा।।

 प्रेमी को प्रेमिका पर ,

प्रेमिका को प्रेमी पर ,

करोड़पति को डाक्टर पर,

डाक्टर के हाथ छोड़ने पर भगवान पर।।

 सबहिं नचावत  राम गोसाईं।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन।

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