नमस्ते वणक्कम।
अलविदा २०२०.
३१-१२-२०२०
२०२०की आयु। खतम। खतम।
फ़रवरी से आज तक
किरीट कीटाणु का भय।
मंदिरों में, मदरासा में।।
न मधुशाला में ।।
अंतिम दिन चैन का सांँस लूँ तो
नये आकार लेकर कीटाणु जिंदा है।
भगवान!मेरी माँ,काकी और दस रिश्ते
तेरे प्यारे। हो गये,अगजगके
भाई बहन करोड़।।
हमें मालूम है यह भूमि मृत्यु लोक।।
तुम अपना क्रोध शान्त कर लो ।
तुम दया सागर हो,
करुणा सागर हो।
शरणागत वत्सल हो।
भक्षक और रक्षक तुम ही हो।
सृष्टि करते हो तो
प्राण लेने का हक भी है।
इस विषय पर तुम निर्दयी हो।।
सुनामी कोराना एक साथ ले जाना।
हम तो ईश्वरीय लीला,
अपना अपना भाग्य,
कह शांति पाते हैं,
इतनी बुद्धि दी है
तदनर्थ धन्यवाद।।
कल से नया शाल,
शांति देना,दया सागर का नाम
सार्थक बना लेना।
२०२०को अलविदा।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।
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