चित्रानुसार कविता
२३-१२-२०२०
मनुष्य का आनंद परमानंद।।
मनुष्य अपना आनंद
अमीरी दशा हो या गरीबी
अपने-अपने दशानुसार मनाएगा ही।।
आदमी अपनी खुशी
खुद खोज लेगा ही।।
झूला झूलता
बच्चा,
भले ही झोंपड़ी में हो,
परमानंद में है वह।
सुख अमीरी में है या गरीबी में
जगत विजयि सिकंदर,
अर्द्धनग्न मुनि देख रह गया सहित।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन।।
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