नमस्ते।वणक्कम।
सीसा /दर्पण।
मनुष्यचेहरेकावास्तविक रूपदर्पणतो
आरपार केदर्शनसीसा।
आजकल ऐ से सीसा
बाहर के दर्शन मात्र।
बाहरसे नकोईदेखसकता।
एक किंवदंती एम्.जीआर केकालेचश्में
हमेशा पाहाँतेदेखकरफैली वहसीसा
नंगे सब को दिखाती।
चन्दा मामा के दर्पण
अज्ञात दिखाते ,.
कोईभी ऐसा नहीं
या बगैर दर्पणदेखे ,बालहो या न हो
सर के दो बाल सँवारतेही बाहर चलते।
दर्पण के सामनेबैठ बाहर आने
केवल लड़कियों का हीनहीं ,
बूढ़े ,बूढ़ियोंकेसफेद बाल
काले बदलने में अधिक देर लगती।
स्वचिंतक ,स्वरचित एस.अनंतकृष्णन ,चेन्नै
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