अनंत दोहा:
चारों ओर के भ्रष्टाचारियों से फूलते- फलते मंत्री मंडल जनता चाहती उन्हींको, जिनसे अपना स्वार्थ सिद्ध हो।
चुनाव देखने जनता गई, कोई न निकला स्वच्छ।
एक ही बात देखी - समझी काले धन ही अच्छे।
चालीस प्रतिशत न चाहते, चुनाव -प्रणाली,
बाकी जो मत देने जाते, मानते धन प्रणाली।।
मानते धन प्रणाली, न सोचते भला बुरा।
नेता जो कहते मानते वही, न सोचते भला बुरा।
अच्छे बुरे की चिंता करें , बुरों को न दें मत।
बुरों को देते मत तो देश का नाम होगा बद।।
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