नमस्ते वणक्कम।
हिंद देश परिवार दिल्ली।
विषय: पर्यावरण दिवस।
तिथि : ४-६-२०२१.
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मानव के शारीरिक अंगों में,
एक अंग अपाहिज हो तो
दुख होगा ही।
आँखें अंधा होने पर
बड़ा मुश्किल होगा।
वैसे ही पंचतत्वों ,
नीर, अग्नी, वायु,भूमि,आकाश में
संतुलन बिगड़ेगा तो
भूमि में प्रदूषण बढ़ेगा ही।
कारखाने,राकेट, कार,बैंक
आदि के कारण वायु
प्रदूषण बढ़ेगा ही।।
रेतों की चोरी,
बदबू पानी को
नदी में बहाना,
झील में छोड़ना,
बड़ी बड़ी इमारतें,
जहाँ एक घर था,
वहाँ सैकड़ों घर,
भूमितल पानी को खींचना।
कारखाने,चमड़े के कारखाने
आदि का गंदे पानी,
आदि पंचतत्वों का संतुलन बिगाड़ देता जान।।
इन प्राकृतिक प्रदूषण से
अति खतरनाक
विचारों में
प्रदूषण।।
अध्यापक आज गुरु का नाम खोकर पेशेवर बन गये।।
भक्ति क्षेत्र में मंदिर वाणिज्य क्षेत्र बन गया।।
सरकारी दफ्तर रिश्वत केंद्र बन गये।
सौ करोड़ रुपये में बनते सांसद विधायक।।
मतदाता वोट के लिए
पैसे लेते।
विचार प्रदूषण में
गर्भपात ब्रह्म हत्या पाप।
परिणाम स्वरूप,
कृत्रिम गर्भाधान केंद्र,
शुक्ल बैंक,
निस्संतान दंपति।
भावी भारत मरुभूमि।
बंजर भूमि।
माता पिता का पाप
बच्चों के लिए।
वैसे ही शासक, अधिकारी
रेत चोरी,नगरविस्तार,
खेतों में कारखाना,
भावी पीढ़ी दुख भोगेगा जान।।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
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