नमस्ते वणक्कम।
परिवार दल।
निज शैली। निज रचना।
मौलिक विधा।
विश्वास।
23-6-2021.
विश्वास न तो जीना कैसे?
आशा निराशा में बदलें तो
हतोत्साहित हो जाते मनुष्य।।
नौकरी की आशा में शिक्षा।।
पत्नी पर विश्वास दांपत्य जीवन।।
पति पर विश्वास पत्नी का।।
सैनिक पर विश्वास देश की सुरक्षा।।
खेद आजकल कोराना,
केवल एक मात्र विश्वास भगवान पर।।
सबहिं नचावत राम गोसाईं।।
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