नमस्ते वणक्कम।
नव साहित्य परिवार।
28-6-2021.
विषय--वतन।
विधा --मौलिक रचना मौलिक विधा।।
मेरी मातृभूमि, भारत समृद्ध भूमि।।
जीव नदियों की भूमि,
दिव्य आध्यात्मिक भूमि।।
मेरा प्रिय वतन ,
तन, मन, धन से अति प्यारा।
अहिंसा,शांति,सत्य ,वचन पालन
मेरे वतन का धर्म ।।
विश्व बंधुत्व, वसुधैव कुटुंबकम् ,
सर्वे जना सुखिनो भवन्तु ---
ये आदर्श नारे हैं हमारे।।
मजहब के नाम निर्दयी संसार।।
हत्यारों के आतंकवादी मजहब।।
भारत है अति महान देश।।
धर्म निरपेक्षता का महान वतन।।
अतिथि देवो भव के आदर्श देश।।
अति अमीर देश।
नग्न,अर्द्ध नग्न , ज्ञान के खान ,
साधु -संत-मुनियों का देश।।
मान मर्यादा की रक्षा के लिए,
जौहर व्रत का आदर्श,
पतिव्रता की सुरक्षा।।
आतंकवादियों और विदेशी षड्यंत्र
देशद्रोही पर इन सब के ऊपर,
आध्यात्मिक ज्ञान दिव्य शक्ति का देश।।
इकबाल ने कहा--
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा हमारा।।
कई सभ्यताएँ मिट गई, पर भारत की सभ्यता
अति प्राचीन,अति अर्वाचीन।।
मेरा प्रिय वतन ईश्वर द्वारा रक्षित वतन।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।
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