नमस्ते। वणक्कम।
साहित्य बोध हरियाणा इकाई।
27-6-2021.
विषय --संँवरे आज।
विधा -मौलिक विधा , मौलिक रचना।
********************************
कहा गया है
भूत चला गया।
भविष्य का पता नहीं।
वर्तमान पर ध्यान दो।।
भविष्य होगा उज्ज्वल।।
अर्थात सोचो,समझो,
अब भी समय है संभालो।
सुविचार कर अभी सँवरो,
सर्वेश्वर प्रार्थना पाँच मिनट।
कर्तव्य सही निभाओ।
कल कल स्थगित करना,
लक्ष्मी की बड़ी बहन बुलाना।
जवानी में ताकत है,
बुद्धि बल है,
नहीं सँवारोगे,तो
पछताओगे।।
वाणी का डिक्टेटर,
कबीर ने हजारों साल पहले
"आज करै तो अब, कल करै तो आज,
पल में प्रलय,पछताने से लाभ नहीं।।
माया महा ठगनी ,बचने चाहिए जितेंद्रियता।।
बूँद बूंद से सागर ,
पल पल में उम्र।
आछे दिन पाछे गये,अब हरी से क्या होत।।
आज ताज़ा न सँवारो कल वह बासी।।
आज का पाठ आज।
आज का काम आज।
कल कल स्थगित करना,
खल का सामना करना।।
गल जाएगा जीवन,
सोचो, विचारों,जागो,
आज ताज़ा बल है,
सँवरो आज,
तन, मन, धन अपने आप स्वस्थ।।
सबहिं नचावत राम गोसाईं।
सँवरो आज, आजीवन सुखी रहो।।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।
No comments:
Post a Comment