नमस्ते वणक्कम।
बिन बुलाए मेहमान,
अपने आप चावल में पैदा होते।
दाल में पैदा होते।
मकड़ी दीवार पर।
काकरोच, उन्हें पकड़ने छिपकली छिपकली।
खटमल मच्छर
चूहें कितने मेहमान।।
कभी कभी बिच्छू,
में ढक,साँप यह तो लंबी सूची।
चैन से रहने,सोने नहीं देते।।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन।
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