Thursday, June 10, 2021

सुख दुख

 नमस्ते वणक्कम।

परिवार दल।

Family group.

आपके शीर्षक अंग्रेज़ी।

 अनुवाद कर लिखने में

 आप के मन में सुख या दुख ।

या क्रोध।

 यही सुख दुख का मूल।

 ईश्वर वंदना में कितने भेद।

 मायके की पद्धति,

 ससुराल की पद्धति

  सहन शक्ति न तो दुख।

 कभी कभी तलाक तक।

सुख दुख के मूल में

 लोभ का अपना स्थान।

 ईर्ष्या , अहंकार ।

 पाश्चात्य देशों से

 भारत में अधिक।

 भगवान शिव एक।

आश्रम अनेक।

 अपने अपने दल।

 मानव भेद,

मानव मानव में नफ़रत।

स्वार्थ मानव ईश्वर के नाम

 मानव मानव में फूट डालता।

न सोचता कि हवा 

हिंदु, मुस्लिम, ईसाई,सिक्ख ,बौद्ध 

 भेद नहीं देखती।।

साँस बंद,सबका निधन।

 मज़हब भी मानव दुख का मूल।

स्वरचित स्वचिंतक 

एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

तमिल नाडु।

काली ,गणपति 

विसर्जन ईश्वर का अपमान।

 हिंदु करता ईश्वर का टुकड़ा टुकड़ा ।

 अतः हिंदु बहुसंख्यक दुखी

 पर अल्पसंख्यक  सुखी।।

 मंदिर के सामने

"भगवान" नहीं का शिला लेख।

वहीं मस्जिद या गिरिजा घर के 

 सामने रखने की हिम्मत नहीं।

  ईश्वर की निंदा अपमान ही

   सुख दुख का मूल।

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