नमस्ते वणक्कम।
साहित्य संगम संस्थान राजस्थान इकाई।
विषय नयन।
विधा
निज रचना निज शैली।
मौलिक रचना मौलिक शैली।
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कबीर का दोहा,
नयनों की करी कोठरी।
पलकों का पलंग, परिणाम
ईश्वर आँखों में कैद।
प्रेयसी/प्रेमिका आँखों में कैद।।
ध्यान करने के पहले
खुले नयनों से मूर्ति देखना।
फिर नयन मूंदकर ध्यान।।
नयन बताता देता,
सत्य है असत्य।
अपराधी सीधे नयन
बोल नहीं सकता।
आँख ही पहचान मानव का।
तिरछी नयन का अलग भाव।
नयन मनोवैज्ञानिक,
नयनों से ही अपराधी का
पता लगाते हैं।
आँखें लाल होना
अत्यंत क्रोध/बदले की भावना।
प्रेम मिलन आंखें चार होना।
नयन भावों की अभिव्यक्ति।
करुणा पूर्ण नयन,
आँसू भरा दुख भरा नयन।
नयन न तो मानव जीवन शून्य।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
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