नमस्ते वणक्कम। साहित्य संगम संस्थान राजस्थान इकाई।
शीर्षक। सिमटते परिवार।
२२-२-२१
विधा --अपनी शैली अपनी भावाभिव्यक्ति।
सिमटने परिवार
कोई चटाई नहीं ।
वैज्ञानिक आविष्कार,
वैज्ञानिक सुविधाएँ,
भिन्न भिन्न रुचियाँ।
मन की सहनशक्ति
मिटा देती।
हमारे परिवार ,
पहली बार रेडियो।
पिताजी खबर तो दादी जी एफ यम।
दादा ने दादी के लिए
अलग रेडियो।
फिर टेप रिकार्डर,
डीवीडी प्लेयर,
टीवि
मोबाइल।
पंखा,
वातानुकूल कमरा।
एक एक श्री चीज।
तब आमदनी की बात।
अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल।
आय के अनुकूल ।
मातृभाषा स्कूल ।
बच्चों में मानसिक तनाव।
हमारे जमाने में इतने वैज्ञानिक साधन नहीं।
साधना के अनुसार भेद।
इन्फीरियर सुपीरियर कांप्लेक्स बच्चों में।
आमदनी की बात।
कम ज्यादा।
भिन्न रुचि,बाह्याड़बर।
बात बात में तनाव।
सिमटते परिवार के मूल में
पाश्चात्य शिक्षा,आय, आधुनिकता,महँगाई, तनाव।
सिमटते परिवार।।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी
No comments:
Post a Comment