Sunday, February 14, 2021

इश्क --காதல்


इश्क प्रेम प्यार मुहब्बत
१४-२-२०२१

सोचा बार बार प्रेम /इश्क शीर्षक।

संसार इसकी कठपुतलियाँ।

केवल लड़के -लड़की के प्रेम से
चलता नहीं संसार।
देश प्रेम देश के लिए
तन मन धन नाते रिश्ते
तज जीनेवाले जवान सैनिक।
जग शान्ति के लिए सर्वस्व ताज
सन्यासी ,आचार्य ,गुरु बने
आध्यात्मिक प्रेमी।
देश के कल्याण केलिए
वैज्ञानिक प्रेमी आविष्कारक।
यथार्थ -आदर्श सत्य -असत्य धर्म अधर्म के
चित्रण कर समाज को जगाने वाले साहित्य प्रेमी।
साहित्यकारों की रचनाओं को
जगतविख्यात करने वाले कला प्रेमी ,
संगीत प्रेमी कितने प्रकार के प्रेमी है
जगत को स्वर्ग बनानेवाले वास्तुकार ,शिल्पकार अभियंता
सब को अपने अपने विषय पर अति प्रेम श्रद्धा न तो
जग क्या होगा सोचो ,समझो।
इश्क कहते ही तन मन का नाहीं
प्रेम निस्वार्थ न हो तो
हमें रामायण नहीं ,महाभारत नहीं कुरआन नहीं बाइबिल नहीं।
नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास यहि काल
अली कली में ही बिन्ध्यो आगे कौन हवाल।
स्वरचित स्वचिंतक एस। अनंतकृष्णन ,चेन्नै
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(
न हीं इस काल में फूल में पराग है, न तो मीठी मधु ही है। अगर अभी से भौंरा फूल की कली में ही खोया रहेगा तो आगे न जाने क्या होगा। दूसरे शब्दों में, 'हे राजन अभी तो रानी नई-नई हैं, अभी तो उनकी युवावस्था आनी बाकी है। अगर आप अभी से ही रानी में खोए रहेंगे, तो आगे क्या हाल होगा।)

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