नमस्ते वणक्कम।
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल।
१-२-२०२१.
विषय : सुख-शांति।
अगजग में शांति कहाँ?
करोड़पतियों के जीवन में अशांति।
मैकेलजाक्सन की आत्महत्या क्यों?
कौरवों के पिता अंधा क्यों?
चक्रवर्ती दशरथ को शोक क्यों?
इंदिरा गांधी के व्यक्ति गत जीवन,
पुत्र शोक, विदेशी बहु,पति से भिन्न मत।
दुख-सुख ईश्वरीय देन।
राजकुमार सिद्धार्थ के जीवन में
वैभव के बीच लोक
कल्याण का दुख क्यों?
हम से निम्न दुखी लाखों करोड़ों।
धन में नहीं सुख-दुख।
आत्मनिर्भर कितने लोग?
अंधे ,बहरे,अंगहीन, गूंगे
जन्म से कितने लोग?
धनी होते गरीब।
गरीब होते अमीर।
सुख दुख में,
दुख सुख में,
बदलने न होती देरी।
प्राकृतिक कोप,
सुनामी,भूकंप, कोराना।
सुख में दुख।
सोचो समझो आगे बढ़ो।।
आध्यात्मिक विचार ही
हमारे पूर्वजों, ऋषियों मुनियों का मार्ग।।
सुख दुख का समय भाव।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
नमस्ते वणक्कम।
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल।
१-२-२०२१.
विषय : सुख-शांति।
अगजग में शांति कहाँ?
करोड़पतियों के जीवन में अशांति।
मैकेलजाक्सन की आत्महत्या क्यों?
कौरवों के पिता अंधा क्यों?
चक्रवर्ती दशरथ को शोक क्यों?
इंदिरा गांधी के व्यक्ति गत जीवन,
पुत्र शोक, विदेशी बहु,पति से भिन्न मत।
दुख-सुख ईश्वरीय देन।
राजकुमार सिद्धार्थ के जीवन में
वैभव के बीच लोक
कल्याण का दुख क्यों?
हम से निम्न दुखी लाखों करोड़ों।
धन में नहीं सुख-दुख।
आत्मनिर्भर कितने लोग?
अंधे ,बहरे,अंगहीन, गूंगे
जन्म से कितने लोग?
धनी होते गरीब।
गरीब होते अमीर।
सुख दुख में,
दुख सुख में,
बदलने न होती देरी।
प्राकृतिक कोप,
सुनामी,भूकंप, कोराना।
सुख में दुख।
सोचो समझो आगे बढ़ो।।
आध्यात्मिक विचार ही
हमारे पूर्वजों, ऋषियों मुनियों का मार्ग।।
सुख दुख का समय भाव।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
नमस्ते वणक्कम।
साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल।
१-२-२०२१.
विषय : सुख-शांति।
अगजग में शांति कहाँ?
करोड़पतियों के जीवन में अशांति।
मैकेलजाक्सन की आत्महत्या क्यों?
कौरवों के पिता अंधा क्यों?
चक्रवर्ती दशरथ को शोक क्यों?
इंदिरा गांधी के व्यक्ति गत जीवन,
पुत्र शोक, विदेशी बहु,पति से भिन्न मत।
दुख-सुख ईश्वरीय देन।
राजकुमार सिद्धार्थ के जीवन में
वैभव के बीच लोक
कल्याण का दुख क्यों?
हम से निम्न दुखी लाखों करोड़ों।
धन में नहीं सुख-दुख।
आत्मनिर्भर कितने लोग?
अंधे ,बहरे,अंगहीन, गूंगे
जन्म से कितने लोग?
धनी होते गरीब।
गरीब होते अमीर।
सुख दुख में,
दुख सुख में,
बदलने न होती देरी।
प्राकृतिक कोप,
सुनामी,भूकंप, कोराना।
सुख में दुख।
सोचो समझो आगे बढ़ो।।
आध्यात्मिक विचार ही
हमारे पूर्वजों, ऋषियों मुनियों का मार्ग।।
सुख दुख का समय भाव।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
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