जो तमिल नाडु साहित्य संगम इकाई के उत्साही सदस्य हो।
मैं जितना हो सके विज्ञापन कर रहा हूँ।
अब तक के सदस्य
मैं एस अनंतकृष्णन चेन्नै
जमुना कृष्णराज चेन्नै
पद्मावती
आप प्रशासक संचालक सक्रिय साहित्य कारों को चुनकर देना है।
तटस्थ प्रमाण पत्र।
हिंदी कवि या लेखक से
पैसे माँगना प्रमाण पत्र देना विद्वानों का अपमान है।
जिस देश में अंग्रेजी आय के समर्थक करोड़ों खर्च करते हैं,
केवल हिंदी के खर्च पर सत्तर साल में अंग्रेज़ी की वृद्धि।
यह तो बड़ी बैवकूफी हैं।
केवल हिंदी हिंदी कहना,
जीविकोपार्जन नहीं तो संस्कृत समान हिंदी।
हिंदी शिक्षक हिंदी आफीसर,
सत्तर बहत्तर सालों से लाखों करोड़ रुपये।
प्रबोध प्राज्ञा प्रवीण उत्तीर्ण कितने कर्मचारी केंद्र सरकार के
हिंदी में पत्र व्यवहार कर सकते हैं।
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा बीए स्तर का प्रवीण तेरह साल में नकल करके या प्रश्न पत्र जानकर उत्तीर्ण हो जाते हैं।
परीक्षा थ्री संख्या दिखाने में बड़प्पन नहीं।
आय नहीं,अब अंग्रेजी स्कूल चलाने लगे।
अधिकांश काम अंग्रेज़ी द्वारा।
स्थाई हिंदी प्रचारक नहीं।
जीवन बीमा एजेंट के समान
हिंदी प्रचारक कमिशन एजेंट।
उनके द्वारा दान!किसके लिए।
सभा इमारत तोरण द्वार अंग्रेज़ी स्कूल की वृद्धि।
आठ समयावधि कक्ष में केवल एक घंटा हिंदी। बाकी अंग्रेज़ी गूंज। विनोबा जी,गाँधीजी और शहीदों की आत्माएँ रो रही है।
अब तो पैसा प्रधान।
तमिल तमिल मेरी प्यारी,मेरी माँ,मेरी बहन, पर तमिल माध्यम के स्कूल हजारों बंद।
हजारों बंद करने की स्थिति में।
एक गाँव में पाँच अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल। सरकारी तमिल माध्यम स्कूल । बाईस अध्यापक। ७००छात्र।
निजी स्कूलों में हजारों की संख्या।
भाषा प्रेमी अमीरों से दान वसूल करके साहित्य संगम।
एक पैसा भी मातृभाषा प्रेमी प्रचारक कवि लेखक से वसुली न करना ही भाषा का विकास।
जब बड़े बड़े लोग अंग्रेजी के पीछे हैं तो बेकार कवि लेखक से पैसा वसूल। ये भी सम्मान के लिए पैसे खर्च करते हैं।
एक किताब प्रकाशित करने पच्चीस हज़ार।एक लाख खर्च सिफारिश सम्मान।
मैं इसके पक्ष में नहीं।
अपना बहुमूल्य समय खोना,
दिमाग लडाना ,अपने सम्मान केलिए अपने पैसे।
यह मेरे स्वाभिमान के विरुद्ध है।
No comments:
Post a Comment