Friday, February 26, 2021

जल जल ग़ज़ल

 नमस्ते वणक्कम

कलमकार कुंभ।

 मैं हूँ  तीर्थाटन में,

 पुण्य जल से 

 मुक्ति चाहनेवाला।

  गंगाजल,कावेरी जल,

 त्रिवेणी गंगा, यमुना, सरस्वती , 

 आँध्रा की गोदावरी,

 तमिलनाडु की वैगै, ताम्रवर्णी,

 कहाँ से आया यह ग़ज़ल।

कल्पना का स्रोत।

वाह!वाह! शाबाश। 

 तालियाँ,

 रुपयों की माला,

रुपए को हवा में 

लापरवाही से फूँकना,

 लक्ष्मी चंचला रहीम ने कहा।

 रुपये नोटों का बौछार।।

 गंगाजल का प्रदूषण।

ग़ज़ल में भूषण,

 पायल में ध्वनि तो

 ग़ज़ल में अमर 

ध्वनियों के शब्द।

नाद में मोहित हिरन,नाग।

ईश्वर के भजन कितना आनंद।

ग़ज़ल का पर्याय कविता।

 संयम के गीत नहीं,

प्यार भरे गीत।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक



No comments: