नमस्कार वणक्कम।
२-२-२०२१.
विषय : ममता।
ममतामई माँ,
माया भरा संसार।
ममता न तो जीवन शून्य।
प्रेम ढाई अक्षर ।
ममता चार। अक्षर।
मम्ता साढ़े तीन अक्षर।
अगजग को अपने
अधीन करनेवाली।।
ममता देश के प्रति।
ममता सुत के प्रति।
ममता भाई बहन के प्रति।
ममता अपनी भाषा के प्रति।
ममता कवि व कविता के प्रति।।
यह ममता न तो
अगजग शून्य।।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी
No comments:
Post a Comment