नमस्ते। वणक्कम।
साहित्य संगम संस्थान गुजरात इकाई
विषय :---अनपढ़ जीवन (बालुवर्मा का ही शीर्षक )
विधा --अपनी भावाभिव्यक्ति। अपना मनमाना छंद )
५-२-२०२१ शुक्रवार
मेरे पिता अनपढ़ थे ,
अपने परम्परागत पेशा रसोइया।
किसी प्रकार के लौकिकचिंतन नहीं ,
वैज्ञानिक सुविधा पाने की आकांक्षा नहीं ,
पंखा हाथ पंखा ,बिजली पंखा की चाह नहीं।
न जाने मेरा जन्म आज़ाद भारत में ,
मुफ़्त मातृ भाषा माध्यम पाठशाला ,
छठवीं कक्षा से अंग्रेज़ी ,
मेरे वंश में पहला sslc .
मैं कैसी रसोई सीखता।
साफ कपडे पहनता ,नौकरी की तलाशी में।
मेरा दोस्त बढ़ई का बच्चा ,
उनके पिता कलाकार .दूरदर्शी।
बच्चे को बढ़ई का काम सिखाया।
आठवीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ ,
पिताजी के काम में जुट गया.
सोलह साल की उम्र में प्रसिद्ध बढ़ई ,
मेरे इलाके में।
मैं पंखा अधीन काम की खोज में
बेकार आवारा की उपाधी पा ,
भटकता रहा sslc .
गान्धीजीकी बेसिक शिक्षा ,
व्यावसायिक शिक्षा प्रधान।
अंग्रेजों की शिक्षा गुमाश्ता की तैयारी।
आजादी के बाद गांधीजी की हत्या ,
उनके सिद्धांत ,उनकी शिक्षा नीति
उनके शव के साथ भस्म।
सत्तर साल बाद मोदीजी का पकौड़ा व्यापार ,
दिल्लगी कीआत बनी।
कितने मेरेसाथी स्नातक स्नातकोत्तर पहली श्रेणी के
मासिक वेतन के नौकर ,
अपढ़ की आमदनी से पाठशाला ,
उनको सलाम करके अध्यापक स्नातक स्नातकोत्तर।
IPS ,IAS अनपढ़ मंत्री के अधीन।
संसद -सांसद -मंत्री शिक्षा मंत्री अनुभवी।
आविष्कारकों में अधिकाँश अनुभवी न स्नातक।
कवि -महाकवि के शोधग्रंथ समालोचक डॉक्टरेट
डॉक्टरेट बढ़ रहे हैं निजी ग्रन्थ उतने नहीं।
पढ़ -अनपढ़ सबका ज्ञान ईश्वरीय अनुग्रह।
साभिननचावत राम गोसाई।
स्वरचित स्वचिंतक एस। अनंतकृष्णन ,चेन्नै ,तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
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