Tuesday, February 23, 2021

मन विश्वास जीवन सफलता

 नमस्ते वणक्कम।

शब्दाक्षर साहित्यिक संस्था

 कार्यशाला१४६.

२२-२-२०२१

विधा --अपनी शैली अपनी भाषा अपनी भावाभिव्यक्ति

विषय 

मन विश्वास जीवन सफलता।

  विधा : अपनी शैली 

अपनी भाषा ,अपनी भावाभिव्यक्ति।

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मन शंकालू चंचल,

नाना विचारों की तरंगें।।

 चंचल शंकालू जी में,

विश्वास कैसे?

 नाउम्मीदी जीवन में 

 जीवन का उम्मीद कैसे?

 है जीने का विश्वास?

तो सफलता में संदेह कैसे?

 सत्य बोलूँ तो जीना कैसे?

झूठ बोलूँ तो पाप का दंड।

 दिल की चोरी 

अक्सर मन चंचल।।

कहूँ न कहूँ सफलता कैसे?

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै

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