नमस्ते वणक्कम।।
१-२-२०२१
साहित्य संगम संस्थान उत्तराखंड इकाई।
शीर्षक। नील गगन।
नील गगन अति सुन्दर।
सूर्योदय, सूर्यास्त ,
चंद्रोदय, तारों का झिलमिल।
अति मनोरम, पर सदा नील गगन।
धरती के लिए नहीं शोभनीय।।
काले बादल जाना,
मेघों का गर्जन, इंद्रधनुष
भूमि समृद्धि,भूलोक वासी का
जीवनाधार।।
नील गगन सूर्य
लाता भाप।
नील गगन पूर्णिमा की चांदनी,
पास अति सुन्दरी
मनमोहक मधुर गान।
मनमोहक प्रकृति।
जीवनाधार।।जीवनानंद।।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
ஆலயப் பிரசாதம் திருவிழா
அனைத்தும்
விஷம் கலப்பது தீர்த்தத்தில் விஷம்
கடத்தல்
இப்படி சின்னத்திரை
நாடகத் தொடர்கள்.
கல்
1 comment:
Bahut Sundar Kavita. Apke blog ko dekhkar dhool mein heera milne jaisi khushi hui. Main uttar bhartiya hoon par thodi bahut Tamil janta hoon. Apse kaise sampark kiya jaa sakta hai. Apse milne ki iccha hai.
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