नमस्ते। वणक्कम।
कार्यशाला संख्या 140.
विषय। चित्र लेखन।
भगवान राम जो भी हो,
भूमि पर अवतार लेना,
संसार सागर पार करना
जन्म से मरण तक हमारे वश में,
हमारी चतुराई में
अपने कौशल में है ही नहीं।
एक केवट की जरूरत है। इस
एक हनुमान,एक गिलहरी ।
तिनका भी हमें उपयोगी है।
ऊँच नीच का भेद मिटा ना
भगवान राम का उद्देश्य।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै
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