வணக்கம். नमस्ते। वणक्कम।
मेरी मातृभाषा तेलुगु है। पर हमारे पूर्वज हजारों वर्ष के पहले
तमिलनाडु में बस गए।
अब हमारी मातृभाषा तमिऴ हो गयी। हम घर में तेलुगु बोलते हैं।
पता नहीं,हम कैसे तेलुगु बोलते हैं।पर तेलुगु भाषी हमारी तमिल मिश्रित तेलुगु
समझ नहीं पाएँगे।
सचमुच तमिल मधुर भाषा है।। इसमेें अधिकांश नैतिक ग्रंथ जैन मुनियों की देन है।
तिरुक्कुरल ,
नालडियार,
नीतिनेरि विळक्कम ,
तिरिकटुकम् आदि
जैन ग्रंथ है।
तमिल के प्रसिद्ध पाँच महा काव्यों में जीवक चिंता मणि जैन काव्य है। आश्चर्य का विषय है कि तमिल महाकाव्य के नाम सब संस्कृत के हैं।
१.शिलप्पधिकारम,
२.मणिमेखलै
३.कुंडलकेशी
४.जीवक चिंता मणि।
५.वळैयापति।
कंबरामायण तमिल संस्कृति के अनुकूल लिखा गया है।
यह तमिल साहित्य का१%परिचय है।
No comments:
Post a Comment