Sunday, January 31, 2021

धर्म निरपेक्षता

 नमस्ते वणक्कम।

३१-१-२०२१.

विषय। धर्म निरपेक्षता।

संविधान के अनुसार 

सबको है समान अधिकार।

कानून के सामने सब बराबर।

वकील नहीं तो तुरंत सजा।

 अमीर भ्रष्टाचार हो तो बारह साल तक 

 मुकद्दमा रिहाई।सब बराबर।

गरीब अपराधी को सड़क पर मारपीट।

अमीर हो तो सादर नमस्कार।

तमिलनाडु का हूँ मैं,

 हिंदू धर्म के आदर्श राम को

जूतों मार जुलूस। 

पुलिस सुरक्षा सहित।

मंदिर के आगे भगवान नहीं 

 भगवान के भक्त बेवकूफ लिखी

 नास्तिक नेता की बड़ी मूर्ति।

 शिव पहाड़ रास्ता रोक,

 पहाड़ पर ईसा का गिरिजा घर।।

 मंदिर के पास  दफन भूमि।

हिंदु मंदिर छिपाकर मस्जिद।

 यही नास्तिक नेता की मूर्ति

खुदा नहीं,ईसा नहीं लिख

मस्जिद, गिरिजा घर के सामने रखने साहस नहीं, हजारों मंदिर की 

शिलाओं की चोरी।

दान भूमियों का अपहरण।

  भारत महान हिन्दू सहनशील।

 धरती माता से बढकर सहनशील।

 वसुधैव कुटुंबकम् का आदर्श।

 लूटनेवाले के पूर्वज हिंदू।

उनकी भाषा भारतीय भाषा।

 अल्पसंख्यक पाठशाला में मजहबी शिक्षा।

बहुसंख्यक में हिंदू भगवान के नाम लेते

 तुरंत कार्रवाई।

 भारत माता की जय।

 खान गांधी बना,चार्ल्स बना।

 कोई आपत्ती नहीं।

 भारत धर्म निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य।

जिंदाबाद। वंदे मातरम न कहूंगा।

भारत धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र राज्य।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

पर्व

 नमन शब्दाक्षर मंच।

कार्यशाला।

  कन्या पर्व।

 निष्कलंकित रहे 

माँ का कठोर नजर।

 पर्व पर 

फसल काटने में।

 किसान का अति ध्यान।

 मंदिर पर्व 

 जातियों का टक्कर 

न हो पुलिस की निगरानी।

 दीपावली पर्व

पटाखें फट फट।

 माता -पिता  की सावधानी।।

बचपन का पर्व

 पढ़ाई पर ध्यान।

 गुरु जनों की देखरेख।

मेला पर्व।

भीड़भाड़ में बच्चे

न खोजाए ।

हर पर्व में 

अति सावधान।

 सरकार का है सिरदर्द।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रचारक हिंदी प्रेमी

Saturday, January 30, 2021

असम में सम

 साहित्य संगम संस्थान इकाई असम।नमस्ते वणक्कम।

दिन भानुवार ३१-१-२०२१.

विषय। असम 

विधा अपनी भाषा अपनी शैली अपने छंद अपने‌विचार।


 साहित्य  संगम 

 असम में सम भाव।

 प्राकृतिक बाधाएँ,

 नदियाँ, पहाड़, टेढ़े मेढे रास्ते।।

 विविध जलवायु,अनाज पैदावर।

 इनमें एकता लाना,

आसमान मन में समान विचार लाना,

साहित्य कार की समर्थता,

सर्वेश्वर की देन, शक्ति प्रद।

वसुधैव कुटुंबकम् साहित्य कार की देन।

जय जगत ,सर्वे जना: सुखिनो भवन्तु 

साहित्य कार की देन ।

"जय जवान जय किसान "नारा गंभीर।।

हिंसात्मक लड़ाई से पीड़ित अशोक।

बुद्ध के उपदेश आध्यात्मिक साहित्य।

अति प्रभावित अति आकर्षित।

माया से निष्कासित 

आध्यात्मिक साहित्य।

अखिल भारत की एकता का पुल।

 कैलाश कहाँ,काशी कहाँ,कांची कहाँ,

 आ सेतु असमानता में समता लाने 

 अमर साहित्य के सिवा

 और कोई शक्ति नहीं।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी।

स्वेच्छा

 दिनांक ३१-१-२०२१.

विषय।  मन माना। स्वेच्छा।

विधा।  मनमाना।३१-१-२०२१.

प्रणेता साहित्य संस्थान दिल्ली।


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स्वेच्छा से प्यार किया।

 स्वेच्छाचारी  पता न चला।

संयम जितेन्द्र भर चला।

न माता पिता नाते रिश्ते का विचार।

बाद में पता चला,

 वह तन धन का  चाहक।

जवानी दीवानी,

 अब दिवाला बन गया जीवन।

 चित्र पट सा जीवन समझा।

 छिन्न भिन्न हो गयी मैं।

 पागल जवानी,पगली मैं।

प्यार का पहलू न जाना।

 रोने बिलखने से लाभ नहीं।

अनुभवी बताती हूँ,

 पाश्चात्य नहीं भारत।

 पति बदलना  पत्नी बदलना

 प्रेमी बदलना प्रेमिका बदलना,

भारतीय अंतर्मन अपमानित ही समझता।

 सावधान मनमानी न करना।

 मन अंतर मन पछताएगा जरूर।

 मन  माना प्यार किया,

  पता चला बाद में 

 मनमाना करनेवाला।

 तितली समान भिन्न भिन्न

 फूलों का रस चखनेवाला।

तड़पती जवानी,मंडराता वह।

मेरा मन मंडराने लगा।

वह भ्रमर चख लिया उड़ गया।

 मन  माना ग़लत विचार 

 जिंदगी भर लो रही हूँ।

 सावधान!  सोचो विचारो।

काम करो ,न तो जिंदगी भर

मनमानी पछताओगी।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

मन माना मनमानी।

 साहित्य संगम संस्थान उड़िसा इकाई।

दिनांक ३१-१-२०२१.

विषय।  मन माना

विधा।  मनमाना।

 मन  माना प्यार किया,

  पता चला बाद में 

 मनमाना करनेवाला।

 तितली समान भिन्न भिन्न

 फूलों का रस चखनेवाला।

तड़पती जवानी,मंडराता वह।

मेरा मन मंडराने लगा।

वह भ्रमर चख लिया उड़ गया।

 मन  माना ग़लत विचार 

 जिंदगी भर लो रही हूँ।

 सावधान!  सोचो विचारो।

काम करो ,न तो जिंदगी भर

मनमानी पछताओगी।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

लोरी

 नमस्ते वणक्कम।

माँ की लोरी,।

मैं बचपन से सुना था,

माँ की लोरी।

तमिल भाषा में,

सभी रिश्तों के गुण गान करती।

अब मैं हूँ  शहरवासी,

अंतर्जाल मोबाइल का जमाना।

 लोरी वहीं अंग्रेज़ी संगीत।

सब के मन में विदेशी मोह।

भारतीय भाषा बोलना समाज में

 सम्मान की बात नहीं।

नन्ही मुन्ना हो जा,

मामा है दुलारने।

पिता है शिक्षा देने।

माता है खिलाने ।

दादा-दादी बुआ।

सब है  साथ खेलने

निश्चिंत सो जा।

अब। कहाँ सम्मिलित परिवार।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रचारक 

शिक्षा

 नमस्ते वणक्कम।

शिक्षा ।30-1-2021.

शिक्षा हमारी सुरक्षा।

आजीवन सहायिका।

 सम्मान देती शिक्षा।

 अनुशासन सिखाती शिक्षा।

 अहंकार रहित शिक्षा,

 लोभ रहित शिक्षा,

 स्वार्थ रहित शिक्षा,

 मानवता की शिक्षा।

तटस्थता की शिक्षा।

 अति आवश्यक है देश में।

 राष्ट्रीय शिक्षा, देशभक्ति की शिक्षा।

 देश के कल्याण में अति अवश्य।।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

Friday, January 29, 2021

सुमार्ग

  तमिल कवयित्री औवैयार की तमिल कविता का अनुवाद।

३०-१-२०२१.

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சாதி இரண்டொழிய வேறில்லை சாற்றுங்கால்

நீதி வழுவா  நெறிமுறையின்  -  மேதினியில்

இட்டார் பெரியோர்  இடாதோர் இழிகுலத்தோர்

பட்டாங்கில் உள்ள படி

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   संसार मेंनीति  व धर्म शास्त्रों के       अनुसार जातियाँ है दो।

 और जातियाँ है ही नहीं।

 दानी परोपकारी उच्च जाति। 

  दान धर्म न करनेवाले निम्न जाति ।

  यह  नौवीं शताब्दी की कविता है।


  जाति इरंडु ओऴिय =सिवा दो जातियों के

वेरु इल्लै --और कोई नहीं है

चाट्रुंगाल  कहने पर

नीति तवरा नेरि मुरैयिल --  न्याय न तजे शास्त्रीय नियम में 

मेदिनियिल --संसार में

इट्टार --  दान धर्म करनेवाले,

पेरियोर  --बडे लोग।

इडादोर   न दान धर्म न करनेवाले।

इऴि कुलत्तोर __निम्नकुलवाले।

पट्टांगिल उळ्ळपडि।  नीति ग्रंथों के अनुसार।

 स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।


 

Anandakrishnan Sethuraman जी अति अति सुंदर प्रस्तुति 

तमिल कवित्रयी औवैयार जी की कविताओं का सुंदर काव्यानुवाद💐💐💐💐💐💐





  

  


Saturday, January 23, 2021

प्रेम காதல்

 साजन - காதலன் கணவன் 


 हमारे जमाने  में              எங்கள் காலத்தில்

 प्रेम याने लव     காதல் அல்லது லவ் 

शब्द  अश्लील , சொல் அசிங்கமானது.

 दंडनीय ,बुरे शब्द।   தண்டனை க்குரியது.கெட்டவார்த்தை.

आधुनिक  काल में  நவீன காலத்தில்

ऐ  लव यू  शब्द   ஐ லவ் யூ சொற்கள்

सामान्य शब्द।  சாதாரண சொற்கள்.

साजन  रहित   காதலில்லா 

महाविद्यालय जीवन கல்லூரி வாழ்க்கை

 शून्य ,अति शून्य ,अपमानित।  சூன்யமானது அதிக சூன்யம், அவமானத்திற்கு ரியது.

कुछ मज़हबी   சில மதத்தவர்களும் 

ஜாதி யினரும்

और जातिवाले 

प्रेम करने कराने காதலிக்க வைக்க காதல் செய்விக்கும் 

 करवाने के 

प्रशिक्षण में लगे हैं. பயிற்சியில் ஈடுபட்டிருக்கின்றனர்.

हमारे जमाने में  எங்கள் காலத்தில்

शादी के  बाद , திருமணத்திற்கு ப் பிறகு

पति सेवा प्रधान। கணவன் கொண்டே பிரதானம்.

 अंत तक जुड़े रहते हैं , இறுதிவரை இணைந்த இருருக்கிறார்கள்.

अमीरों और जमींदारों को  பணக்காரர்கள், ஜமீன்தார் கள்  

வைப்பாட்டி வைத்துக் கொள்வது 

रखैल रखना गर्व की बात.  கர்வமான விஷயம்.

 अंतःपुर में.    அந்த ப் புரத்தில் 

 सुंदरियों की भीड़. அழகிகள் கூட்டம்.

आज  कल. இந்நாளில்

 स्नातक ,स्नातकोत्तर பட்டதாரி,முதுகலை பட்டதாரி

साजन खोज लेते காதலனைத்தேடிக் கொள்கிறார்கள் 

 पर अदालत में. ஆனால் நீதி மன்றத்தில்

 तलाक मुकद्दमा  விவாகரத்து வழக்குகள்.

बढ़ रहे हैं  कई कारणों से।  பல காரணங்களால் அதிகரித்துக்கொண்டே இருக்கின்றன.

कितने साजन से  எத்தனை காதலர்கள்

अति संतोषप्रद மிகவும்  திருப்தி அளிக்கின்றன வா

  जीवन पता नहीं। வாழ்க்கை தெரியவில்லை.

मोह  तीस दिन , மோகம் முப்பது நாள் 

चाह तीस दिन ,  ஆசை முப்பது நாள்

बंधन रहित में प्यार , கட்டுப்பாடு இல்லா காதல் 

बंधन के बाद मनमुटाव। கட்டுண்ட பின் மோதல்

जवानों के अध्ययन सेஇளைஞர்களைப் படித்தால்

 वे शादी के बाद दुखी।  அவர்கள் திருமணத்திற்குப் பின் இன்றித்.

आर्थिक असमानता ,  பொருளாதார சமத்துவமின்மை

अंतर्जाल में  வலை தளத்தில்

बढ़ा चढ़ाकर दृश्य।  அதிக வர்ணனைக் காட்சிகள்.

सुखी  नहीं , இன்பம் இல்லை 

यथार्थ की बात. உண்மையான விஷயம்.

சுயசிந்தனையாளர் சுய படைப்பு

சே.அனந்தகிருஷ்ணன்.சென்னை

स्वरचित  स्वचिंतक अनंतकृष्णन।

पल நொடி ,வளர்

 नमस्ते वणक्कम।

 दिनांक 23-1-2021.

   शीर्षक : पल   தலைப்பு -- நொடி,வளர்

पल पल बूंदें मिलकर पला । ஒவ்வொரு நொடியும்        துளிகள் சேர்ந்து வளர்ந்தேன்

बच्चा बना तीन किलो का। மூன்று கிலோ குழந்தை ஆனேன்.

बालक बना पल-पल कर வளர்ந்து பால்கன் ஆனேன்

वजन बारह किलो।  எடை 12கிலோ.

पलकर युवा बना पचास। வளர்ந்து இளைஞன் ஆனேன் 50கிலோ.

पलने माता ने खूब खिलाया। வளர அம்மா நன்கு சாப்பாடு போட்டார்.

पलकर नौकरी नहीं मिली। வளர்ந்து வேலை கிடைக்கவில்லை.

वही माँ ने गाली दी  அதே அம்மா ஏறினாள்.

पलकर भैंस बराबर बने हो।

 வளர்ந்து எருமை மாடு ஆகிவிட்டார்.

पडोसिन का बेटा पल पल कमाता लाखों।

அண்டை வீட்டு க்காரி மகன் ஒவ்வொரு நொடியும் லட்சக்கணக்கில் சம்பாதிக்கிறான்.

पल पल गाली खाते खाते ஒவ்வொரு நொடியும் திட்டு வாங்கியே

 मोटा ताजा जवान बना। பலமுள்ள இளைஞனானேன்.

 न जाने भाग्य पलटा। பாக்கியம் மாறியது.

पल पल लाखों कमानेवाले की बहन से ஒவ்வொரு நொடியும் சம்பாதிப்பவனின் சகோதரியுடன் சந்திப்பு காதல்.

 प्यार मिलन हो गई शादी। திருமணம்

अब भी पलता सुडौल  இப்பொழுதும்வளர்கிறேன்

बनता जा रहा हूँ। அழகனாகிக் கொண்டிருக்கின்றேன்

पल पल कमानेवालाஒவ்வொரு நொடியும்

 और कमाने की परेशानी में।சம்பாதிப்பவன் கஷ்டத்தில்.

मैं हूँ निश्चिंत आवारा। நான் கவலையின்றி ஊர் சுற்றிவருகிறேன்.

परावलंबित।மற்றவரை சார்ந்து.

पल पल परिश्रमी स्वावलंबी। ஒவ்வொரு நொடியும் உழைப்பாளி தன்னைச் சார்ந்த வன்.

भाग्य भला या परिश्रम पता नहीं। பாக்கியம் நல்லதா உழைப்பு சிறந்த தா  தெரியவில்லை.

சுய சிந்தனை யாளர் சுய படைப்பு சே.அனந்தகிருஷ்ணன்.சென்னை 

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै हिंदी प्रेमी तमिलनाडु।

Friday, January 22, 2021

तन्हाई

 नमस्ते वणक्कम।

तन, मन,धन 

अधिकता या न्यूनता,

प्रेम हार,प्रिय वियोग।

 प्रिय निधन, तन्हाई पसंद।।

 जीवन के। लाभ नष्ट।

वाल्मीकि के पाप बांटने

पत्नी भी न चाहा परिणाम,

तपस्या तन्हाई जनकल्याण रामायण।

तन प्रिय तुलसीदास,मन में पत्नी प्रिय।

पत्नी का क्रोध, अस्थाई सुख का संदेश।

एकांत ध्यान परिणाम तन्हाई।

 तिलकजी का कारावास तन्हाई ,

गीता रहस्य।

  सिद्धार्थ राजकुमार सामाजिक 

दुख दूर करने, परिणाम बौद्ध धर्म।

तन्हाई में जनकल्याण की बातें।

मुहम्मद को मिला पैगाम।

आपस में कट मिटे लोगों में

अमन-चैन प्रेम उदय।

 तन सुख तन्हाई नहीं,

मन सुख में तन्हाई।

तन्हाई में आत्मानंद।

 एकांत में दिव्य पुरुष।

एकांत में वैज्ञानिक आविष्कार।

एकांत में एवरेस्ट विजय।

 तन्हाई का परिणाम अगजग भोगने।

स्वरचित स्वचिंतक से.अनंतकृष्णन,चेन्नै।




आराधना पूजा उपासक

 नमस्ते वणक्कम।

 आराधना,पूजा,उपासक।

तीनों में फर्क है ।

भगवान की आराधना में

विविध लोग विविध प्रकार से आते हैं।

 वे ही पुजारी द्वारा पूजा कराते हैं।

देवी उपासक,हनुमान उपासक।

वे ईश्वरीय शक्ति प्राप्त दिव्य पुरुष।

ढोंगियों की बात अलग।।

वास्तविक उपासक बाह्याडंबर से दूर।

ढोंगी उपासक पैसे के पीछे पागल।।


स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै

Thursday, January 21, 2021

अगजग को संदेश।

 नमस्ते वणक्कम।

 विषय == घर।

 जंगल में नंगे भटके मानव।

 कच्चा माँस खाता,

गुफाओं में,पेड़ के खोखले में

रहता,पर शु तुल्य जीवन।

पाषाण युग में।

सभ्य बना तो समाज।

संयम, समाज,

सामाजिक नियम।

फिर सुरक्षित रहने घर।

 घर बना,आवारा जिंदगी ,

स्थाई बस्ती, खेती-बाड़ी।

 पारिवारिक नियम, मर्यादा,पर

साथ ही साथ ऊँच -नीच की भावना।

अहंकार काम क्रोध लोभ।

अपने समूह की सुरक्षा।।

ईर्ष्या लड़ाई झगड़ा।

अगजग बन गया रण भूमि।

 मनुष्य को प्रेम, स्नेह, शांति है जीने

 ईश्वराराधना ,पैगंबरों का अवतार।

भारत बना ज्ञान भूमि,

आध्यात्मिक भूमि।

अगजग को समझाया-

सारा संसार एक कुटुंब।

सारा संसार सुखी रहें।

मुगल पैगंबर ईश्वर के संदेश लेकर,

आपस में कटकर मरे लोगों में

प्रेम ,सेवा, परोपकार, सहानुभूति 

दान धर्म का संदेश जो

भारतीय संस्कृति के आध्यात्मिक मार्ग।

बुद्ध महावीर का त्यागमय जीवन

अहिंसा परमो धर्म।

जिओ और जीने दो।

शाकाहारी भोजन का महत्व।

ईसा मसीह के भी वही सिद्धांत।

सारे विश्व एक तंबू,

आसमान छत।

सूरज चंद्रमा दीप।

 वर्षा,वायु सब केलिए बराबर।

बड़े घर विश्व में

अंग जग के लोग भाई बहन।

स्वामी विवेकानन्द का संदेश।

 जय जगत का संदेश।

भारतोन्नति,विश्वोन्नति।

विश्व के घर में अहिंसा का संदेश।

युगावतार बापू महात्मा ।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई। तमिलनाडु के हिंदी प्रचारक प्रेमी।

जय जगत !जय भारत!


   

भारतीय बेटियाँ

 बेटी  भारत की प्यारी से पली।

स्नातक स्नातकोत्तर कई  ।

फिर भी बेटी ससुराल की बहु।

सास ननद भारतीय‌ गुण

 मिटते नहीं, कानून बनाने से

 खून बहता है भारतीय।

बस अब तक वह गुण बदलता नहीं।

 नारी गुलामी,नारी बेगार,

व्यवहार में मिटता नहीं।

सीता से लेकर आज तक 

संदेह, अपवाद, अत्याचार 

नस नस में भरा है ।

नारी एक कठपुतली,

बदलती नहीं यह भाव।

 भारतीय आदर्श डिग्रियाँ बदलती नहीं।

आँसू रोकना मुश्किल,

बहाना अपराध।

यह नारी दशा न बदलती।

चित्र पट नाटक मंच तक तकरीर।

राम रावण के अनुयायी अनेक।


स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै

Wednesday, January 20, 2021

बंद से सद

 नई सी जिंदगी घुलने लगी, 

हाँ, प्यार, सेवा, जन कल्याण. 

हिंसा का अवतार अशोक, 

कलिंग के निर्दय युद्ध  के बाद

क्रूर अशोक  की जिंदगी में

 नई सी जिंदगी घुलना लगी.

 सिद्धार्थ  सुखी सिद्धार्थ 

रोगी, शव, कोढी देख

दुखी   त्यागी संन्यासी  राजकुमार, 

जिंदगी में इक नई-सी 

जिंदगी घुलने लगी. 

सिद्धार्थ  बुद्ध  बन

भारत के चार चाँद बन 

जिंदगी में इक ऩई. सी जिंदगी

अगजग में चमककर घुलने लगी. 

 थप्पड पडा दक्षिण  आफ्रिका में

वह मोहनदास की जिंदगी में इक 

नई सी जिंदगी  घुलने लगी. 

बना विश्ववंद्य  महात्मा. 

गांधी बनिया भूल 

सब अपने नाम के साथ

खान  हो या ब्राह्मण  गांधी जोड

गांधी वंश को  छिपा जिंदगी में

 इक नई सी ज़िंदगी घुलना लगी .

नश्वर जग में रत्नाकर वाल्मीकि  बन 

जिंदगी में इक नई सी रामायण 

जिंदगी घुलना लगी. 

जिंदगी नहीं हाडमाँस के तनसे

लिपटकर रहना, वह तो नश्वर 

आँखें  लाल हुई पत्नी के वचन

तुससीदास को अवधि के शशि बनाया. 

 महानों की  जिंदगी के अध्ययन  से

कइयों की जिंदगी  में 

इक नई जिंदगी घुलने लगी.

स्वरचित स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन

तम

 तिमिर/तम/अंधकार/ 

डरो मत । 

अंधेरे गुफा में मिलता 

तपोबल। 

तीर्थंकरों को मिला।

रमण को मिला।

पैगंबर मुहम्मद को मिला।

अंध कूप में तुलसी की तपस्या।

साहसी को मिलता जुगुनू से प्रकाश।।

 तम  प्रत्यय देखिए अति आश्चर्य।।

प्रियतम  शादी के बाद पता चलेगा,

प्रिय है या तम।

श्रेष्ठ तम ,उच्चतम, प्रिय तमा।

श्रेष्ठ तम से न डरने से।

अज्ञानांधकार भी है।

ज्ञान प्रकाश में बदलना।

करत करत अभ्यास करत

अज्ञानांधकार बन जाता ज्ञान प्रकाश 

 तिमिरु तमिल अर्थभेद।

तिमिरु घमंडी,उन्मत्त, गर्विष्ठ

तिमिर में पड़ जाते गर्विष्ठ।


दिलीप धींग के

 तिमिर से डरो मत।

असर पड़ा मुझ पर।।

 वे हैं श्रेष्ठतम संत ज्ञानी।

मैं हूँ अज्ञानी।

उनकी सीख से 

तम मिटता मन का।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृषणन।

 दिलीप जी द्वारा प्रेरित।

जीवन

 जन्म जीवनमृत्यू

बीच में ‌‌जीवन।
सौ साल जीवन है तो
बाईस साल तक,
बचपन, किशोरावस्था
तीस साल बुढ़ापा है तो
जीवन ४८ साल।
अडतालीस साल में
नौकरी शादी।
कितना ‌सुख दुख।
कितनी इच्छाएँ
आशा निराशाएँ।
यही जीवन ।
तन अपयश।
प्रेम नफ़रत ईर्ष्या जलन।।
धन की माया ।
माया भरा संसार।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै
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नाथों का नाथ बिश्वनाथ

 

अनाथों का नाथ जगऩ्नाथ।
अनाथालय अनाथाश्रम
देवेन मनुष्य रूपेन का सबूत।
कबीर को मिले नीमा- नीरु।
कर्ण को मिला ..अधिरथ।
यो़ं ही अनाथों को भी नाथ बनाते जगन्नाथ।
पत्थर के अंदर भीजीव।
फल के अंदर भी जीव।
पेट में भी कीडे।
चींटी को डिब्बे में बंदकर रखा।
उसके अंदर भी शिव की कृपा से चावल कण।
नाथों का नाथ विश्वनाथ।
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