बेटी भारत की प्यारी से पली।
स्नातक स्नातकोत्तर कई ।
फिर भी बेटी ससुराल की बहु।
सास ननद भारतीय गुण
मिटते नहीं, कानून बनाने से
खून बहता है भारतीय।
बस अब तक वह गुण बदलता नहीं।
नारी गुलामी,नारी बेगार,
व्यवहार में मिटता नहीं।
सीता से लेकर आज तक
संदेह, अपवाद, अत्याचार
नस नस में भरा है ।
नारी एक कठपुतली,
बदलती नहीं यह भाव।
भारतीय आदर्श डिग्रियाँ बदलती नहीं।
आँसू रोकना मुश्किल,
बहाना अपराध।
यह नारी दशा न बदलती।
चित्र पट नाटक मंच तक तकरीर।
राम रावण के अनुयायी अनेक।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै
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