भारतीय संस्कृति अतिथि देवो भव।
आजादी के बाद विदेशी पूँजी देवों भव।।
खेत खलिहान नदी नाले खत्म कर।
नगर विकास नाम मरुभूमि किया करो।
स्वरचित स्वचिंतक से.अनंतकृष्णन चेन्नै
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