नमस्ते वणक्कम।
माँ की लोरी,।
मैं बचपन से सुना था,
माँ की लोरी।
तमिल भाषा में,
सभी रिश्तों के गुण गान करती।
अब मैं हूँ शहरवासी,
अंतर्जाल मोबाइल का जमाना।
लोरी वहीं अंग्रेज़ी संगीत।
सब के मन में विदेशी मोह।
भारतीय भाषा बोलना समाज में
सम्मान की बात नहीं।
नन्ही मुन्ना हो जा,
मामा है दुलारने।
पिता है शिक्षा देने।
माता है खिलाने ।
दादा-दादी बुआ।
सब है साथ खेलने
निश्चिंत सो जा।
अब। कहाँ सम्मिलित परिवार।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रचारक
श
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