नमस्ते वणक्कम।
बात 1967की थी।
तमिलनाडु में हिंदी विरोध आंदोलन जोर पकड़ा हुआ था। हाथ में हिंदी किताब ले जाना खतरा था। मेरे शहर पवनी के कालेज छात्रों ने रेल बस जलाने में लगे हुए थे। कई छात्र जेल में।
तब मैं ग्यारहवीं कक्षा में सरकारी परीक्षा लिख रहा था।
तब स्कूल में त्रिभाषा। अंग्रेज़ी तमिल हिन्दी।
हिंदी परीक्षा में उपस्थित होना अनिवार्य था।पर अंक शून्य लेने पर भी उत्तीर्ण। मेरी माँ हिंदी अध्यापिका थी।
मेरे साथी सब हिंदी विरोधी थे। स्कूल प्यूपिल लीडर मेरे वर्ग का था। आधे घंटे परीक्षा कमरे में बैठना अनिवार्य था।
पहले ही मुझे छात्रों ने ब्रा धमकाया कि खाली उत्तर पत्र देकर आना था। मैं ने कहा खाली पेपर न दूँगा,आधे घंटे में जितना लिखा सकूँ,उतना लिखने दें। मैं ने आधे घंटे में जितना हो सकें उतना लिखा। आधे घंटे की घंटी बजते ही मेरे पीठ पर दो तीन छात्रों ने मारे। मैं निरीक्षक के हाथ पेपर देकर बाहर भागकर जान बचाकर घर पहुँचा। मुझे हिंदी में 50 केलिए 21अंक मिले। सभा के नियमानुसार सीधे राष्ट् भाषा परीक्षा दी।
तब मेरी माँ की तबीयत ठीक नहीं थी। मुझे हिंदी अध्यापक का पद सत्रह साल की उम्र में मिला।
इतने में द्रविड़ मुन्नेट्र कलकम् सरकार ने द्वी भाषा सूत्र का लागू किया। प्रशिक्षित न होने से नौकरी चली गयी। मैं और माँ तीव्र हिंदी प्रचार में लगे। विस्मय की बात थी, हिंदी विरोधी वातावरण में 1967ई.में सौ छात्रों को हमने परीक्षा में बिठाया।
मुफ्त हिंदी वर्ग।
यह मेरे जीवन की चिरस्मरणीय घटना है। 57साल के बाद अपने शहर गया तो मेरे सहपाठियों ने खेल प्रकट किया कि हिंदी न पढ़कर विरोध करके भूल किया है।
उनके पोते अंग्रेज़ी माध्यम में और तमिऴ पढ़ना टेढ़ी खीर है।
पर आज भी शासक योग्य दल ADMK और DMK
Hindi के विरोध करनेवाले दुनाली बंदूकें हैं।
हिंदी प्रचार सभा में अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल है वहीं सभा की आमदनी का आधार। सुंदर इमारत। सौ साल पूरे हो गये,
स्थाई हिंदी प्रचारक नहीं। स्वैच्छिक हिंदी प्रचारक हजारों के कारण लाखों के परीक्षार्थी। दक्षिण के चारों प्रान्तों में केवल तमिलनाडु में हिंदी प्रचार में न प्रांतीय सरकार का समर्थन न केंद्र सरकार का। बाकी तीन प्रांतों में मिलाकर छात्र दस हजार से कम पर तमिल नाडु में डेढ़ लाख से ज्यादा।
मेरी छात्रावस्था के हिंदी विरोध अब नहीं।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै ।
तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी।
Anandakrishnan Sethuraman
आपकी हिन्दी माँ की निष्ठा अपूर्व प्रेरणा दायक है आदरणीय अनन्तकृष्णन भाई अभिनन्दन है आपका ।
Anandakrishnan Sethuraman G अभूतपूर्व संस्मरण ।सा0 नमन आपकी माँ जी व आपको।आपके हिंदी प्रेम के लिए बारम्बार अभिनन्दन ।।💐💐💐💐👏👏
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