नमस्ते वणक्कम।
विषय == घर।
जंगल में नंगे भटके मानव।
कच्चा माँस खाता,
गुफाओं में,पेड़ के खोखले में
रहता,पर शु तुल्य जीवन।
पाषाण युग में।
सभ्य बना तो समाज।
संयम, समाज,
सामाजिक नियम।
फिर सुरक्षित रहने घर।
घर बना,आवारा जिंदगी ,
स्थाई बस्ती, खेती-बाड़ी।
पारिवारिक नियम, मर्यादा,पर
साथ ही साथ ऊँच -नीच की भावना।
अहंकार काम क्रोध लोभ।
अपने समूह की सुरक्षा।।
ईर्ष्या लड़ाई झगड़ा।
अगजग बन गया रण भूमि।
मनुष्य को प्रेम, स्नेह, शांति है जीने
ईश्वराराधना ,पैगंबरों का अवतार।
भारत बना ज्ञान भूमि,
आध्यात्मिक भूमि।
अगजग को समझाया-
सारा संसार एक कुटुंब।
सारा संसार सुखी रहें।
मुगल पैगंबर ईश्वर के संदेश लेकर,
आपस में कटकर मरे लोगों में
प्रेम ,सेवा, परोपकार, सहानुभूति
दान धर्म का संदेश जो
भारतीय संस्कृति के आध्यात्मिक मार्ग।
बुद्ध महावीर का त्यागमय जीवन
अहिंसा परमो धर्म।
जिओ और जीने दो।
शाकाहारी भोजन का महत्व।
ईसा मसीह के भी वही सिद्धांत।
सारे विश्व एक तंबू,
आसमान छत।
सूरज चंद्रमा दीप।
वर्षा,वायु सब केलिए बराबर।
बड़े घर विश्व में
अंग जग के लोग भाई बहन।
स्वामी विवेकानन्द का संदेश।
जय जगत का संदेश।
भारतोन्नति,विश्वोन्नति।
विश्व के घर में अहिंसा का संदेश।
युगावतार बापू महात्मा ।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई। तमिलनाडु के हिंदी प्रचारक प्रेमी।
जय जगत !जय भारत!
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