Wednesday, January 6, 2021

अरमान

 कलम बोलती है।

विषय क्रमांक २४२

विषय अरमान।

   अरमानों में भेद।

   व्यक्तिगत,समष्टिगत।

 स्वादगत, कर्म गत।

 किसी की इच्छा

 निराकार ब्रह्म की प्रार्थना।

और किसी की इच्छा 

 साकार।

 किसी की अभिलाषा

 लौकिक सुख।

 किसी किसी की अलौकिक।।

 सेवा की चाह। त्याग की चाह।

भोग की चाह,धन की चाह।

 जीने की चाह,मरने की चाह।

अरमानों की पूर्ति भगवान पर निर्भर।।

 आत्महत्या करने की चाह  में 

 समुद्र में गोता लगाया,

धन के घड़े के साथ बाहर आया।

 मोती बटोरने  गोता लगाया तो

उसका शव ही बाहर आया।

हर अरमान मनुष्य का पूरा नहीं होता।

अपने अपने भाग्य पर ही होता।।

सबहिं नचावत राम गोसाईं।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु

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