साहित्य संगम संस्थान इकाई असम।नमस्ते वणक्कम।
दिन भानुवार ३१-१-२०२१.
विषय। असम
विधा अपनी भाषा अपनी शैली अपने छंद अपनेविचार।
साहित्य संगम
असम में सम भाव।
प्राकृतिक बाधाएँ,
नदियाँ, पहाड़, टेढ़े मेढे रास्ते।।
विविध जलवायु,अनाज पैदावर।
इनमें एकता लाना,
आसमान मन में समान विचार लाना,
साहित्य कार की समर्थता,
सर्वेश्वर की देन, शक्ति प्रद।
वसुधैव कुटुंबकम् साहित्य कार की देन।
जय जगत ,सर्वे जना: सुखिनो भवन्तु
साहित्य कार की देन ।
"जय जवान जय किसान "नारा गंभीर।।
हिंसात्मक लड़ाई से पीड़ित अशोक।
बुद्ध के उपदेश आध्यात्मिक साहित्य।
अति प्रभावित अति आकर्षित।
माया से निष्कासित
आध्यात्मिक साहित्य।
अखिल भारत की एकता का पुल।
कैलाश कहाँ,काशी कहाँ,कांची कहाँ,
आ सेतु असमानता में समता लाने
अमर साहित्य के सिवा
और कोई शक्ति नहीं।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी।
No comments:
Post a Comment