साहित्य संगम संस्थान उड़िसा इकाई।
दिनांक ३१-१-२०२१.
विषय। मन माना
विधा। मनमाना।
मन माना प्यार किया,
पता चला बाद में
मनमाना करनेवाला।
तितली समान भिन्न भिन्न
फूलों का रस चखनेवाला।
तड़पती जवानी,मंडराता वह।
मेरा मन मंडराने लगा।
वह भ्रमर चख लिया उड़ गया।
मन माना ग़लत विचार
जिंदगी भर लो रही हूँ।
सावधान! सोचो विचारो।
काम करो ,न तो जिंदगी भर
मनमानी पछताओगी।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
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