जन्म जीवनमृत्यू
बीच में जीवन।
सौ साल जीवन है तो
बाईस साल तक,
बचपन, किशोरावस्था
तीस साल बुढ़ापा है तो
जीवन ४८ साल।
अडतालीस साल में
नौकरी शादी।
कितना सुख दुख।
कितनी इच्छाएँ
आशा निराशाएँ।
यही जीवन ।
तन अपयश।
प्रेम नफ़रत ईर्ष्या जलन।।
धन की माया ।
माया भरा संसार।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै
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