नमस्ते वणक्कम।
तन, मन,धन
अधिकता या न्यूनता,
प्रेम हार,प्रिय वियोग।
प्रिय निधन, तन्हाई पसंद।।
जीवन के। लाभ नष्ट।
वाल्मीकि के पाप बांटने
पत्नी भी न चाहा परिणाम,
तपस्या तन्हाई जनकल्याण रामायण।
तन प्रिय तुलसीदास,मन में पत्नी प्रिय।
पत्नी का क्रोध, अस्थाई सुख का संदेश।
एकांत ध्यान परिणाम तन्हाई।
तिलकजी का कारावास तन्हाई ,
गीता रहस्य।
सिद्धार्थ राजकुमार सामाजिक
दुख दूर करने, परिणाम बौद्ध धर्म।
तन्हाई में जनकल्याण की बातें।
मुहम्मद को मिला पैगाम।
आपस में कट मिटे लोगों में
अमन-चैन प्रेम उदय।
तन सुख तन्हाई नहीं,
मन सुख में तन्हाई।
तन्हाई में आत्मानंद।
एकांत में दिव्य पुरुष।
एकांत में वैज्ञानिक आविष्कार।
एकांत में एवरेस्ट विजय।
तन्हाई का परिणाम अगजग भोगने।
स्वरचित स्वचिंतक से.अनंतकृष्णन,चेन्नै।
य
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